(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhattisgarh: नक्सलगढ़ की बेटी ने बस्तर का नाम किया रोशन, लंदन में पाई नौकरी, सैलरी जान रह जाएंगे हैरान
Success Story: मध्यम परिवार से आई रिया ने मेहनत और परिजनों के सहयोग से यह मुकाम हासिल किया है. रिया ने बताया कि उनकी दादी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में नर्स थीं. बचपन से दादी से रिया ने प्रेरणा ली.
Bastar News: छत्तीसगढ़ के नक्सलगढ़ के युवा भी खेल और शिक्षा के क्षेत्र में देश दुनिया में नाम कमा रहे हैं. देश में बड़े प्रशासनिक पदों पर सेवा देने के साथ विदेशों में भी नौकरी हासिल कर रहे हैं. सुकमा जिले के दोरनापाल में रहने वाली युवती रिया फ़िलिप ने भी अपने हुनर से बस्तर का नाम रोशन किया है और लाखों रुपये के पैकेज में लंदन में नौकरी हासिल की है. रिया फ़िलिप 22 लाख रुपये सालाना पैकेज में लंदन में नौकरी कर रही हैं.
रिया के पिता निजी स्कूल के बस ड्राइवर हैं और मां शिक्षिका हैं. दोनों ने अपनी मेहनत से बेटी को पढ़ाकर इस मुकाम तक पहुंचाया है. ऐसे में रिया के परिवार समेत पूरे सुकमा जिले के लोगों में काफी खुशी है. वहीं, इस क्षेत्र से विदेश में नौकरी करने वाली रिया पहली नक्सलगढ़ की बेटी है.
दादी से मिली नर्स बनने की प्रेरणा
सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित दुब्बाटोटा गांव के रहने वाले संजू फ़िलिप की बेटी रिया फिलिप अब विदेश में नौकरी करेगी. मध्यम परिवार में पैदा हुई रिया ने अपनी मेहनत और परिजनों के सहयोग से यह मुकाम हासिल किया है. अपनी प्रारंभिक शिक्षा दोरनापाल के सरकारी स्कूल में पूरी करने के बाद आठवीं से बारहवीं तक जगदलपुर शहर में रहकर रिया ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी की. इसके बाद बेंगलुरु में 3 साल नर्सिंग का कोर्स किया और फिर 2 साल तक दिल्ली में रहकर पढ़ाई की. अब लंदन से नौकरी के लिए आए ऑफर को स्वीकार कर लिया है.
रिया ने बताया कि उनकी दादी दुब्बाटोटा गांव में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में नर्स थीं और बचपन से अपनी दादी में लोगों के प्रति सेवा देखकर उसने नर्स बनने की प्रेरणा ली. आज नर्सिंग कर रिया विदेश में अपनी सेवा दे रही हैं. रिया ने बताया कि उसे इस मुकाम तक पहुंचने के लिए माता-पिता और खासकर अपने छोटे भाई बहनों का पूरा साथ मिला.
विदेश में नौकरी करने वाली जिले की पहली लड़की रिया
रिया के पिता संजू फिलिप ने बताया कि रिया घर की सबसे बड़ी बेटी है और बचपन से ही पढ़ाई में काफी होनहार रही है. आर्थिक तंगी के बावजूद रिया की पढ़ाई के प्रति रुचि देखकर उनकी ने उनकी पढ़ाई के लिए आर्थिक रूप से पूरी मेहनत की. आखिरकार अब रिया को मुकाम हासिल होने के बाद परिवार वालों में खुशी का माहौल है. रिया के पिता ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि दोरनापाल क्षेत्र (जो कि नक्सल गढ़ है) के एक छोटे से गांव से जाकर उनकी बेटी अब विदेश में नौकरी कर रही है.
वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि सुकमा जिला में शिक्षा के क्षेत्र में पहले से काफी सुधार हुआ है. इसके चलते यहां के बच्चे भी उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं. सुकमा शहर ही नहीं बल्कि जिले के अंदरूनी नक्सल प्रभावित गांव के बच्चे भी आज प्रशासनिक सेवा के बड़े-बड़े पदों पर अपनी सेवा देने के साथ खेल जगत में भी नाम कमा रहे हैं.
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