Bastar News: छत्तीसगढ़ की इस महत्वकांक्षी योजना का बस्तर में बुरा हाल, विपक्ष ने भूपेश सरकार पर साधा निशाना
3 साल पहले प्रदेश सरकार ने बड़े धूमधाम से रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी. शुरू में सड़कों से मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस ले जाया जाता था, लेकिन अब काउ कैचर गाड़ियां भी दूर दूर तक नजर नहीं आतीं.
Roka Cheka Campaign in Bastar: 'रोका छेका अभियान' बस्तर में कागजों पर सिमट कर रहा गया है. अभियान के शुरुआती दिनों में नगर निगम ने जमकर उत्साह दिखाया था. सड़कों पर घूम रहे मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस पहुंचाया गया, लेकिन अब बीते कुछ वर्षों से अभियान पूरी तरह ठप पड़ गया है. घूमते मवेशी शहर की मुख्य सड़कों के साथ ही कई वार्डो और खासकर बाजारों में नजर आ रहे हैं. आलम ये है कि सड़कों पर मवेशियों के होने से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं और मवेशियों की भी जान जा रही है.
सड़कों पर नहीं दिखती काऊ केचर की गाड़ियां
3 साल पहले प्रदेश सरकार ने बड़े धूमधाम से रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी. नगरीय प्रशासन और विकास मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी किया था. शुरुआती महीनों में जगदलपुर नगर निगम की काऊ केचर गाड़ियां सड़कों और बाजारों में नजर आती थीं. सड़कों से घूमते मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस ले जाया जाता था, लेकिन अब काउ कैचर निगम क्षेत्र और नेशनल हाइवे में भी दूर दूर तक नजर नहीं आती. मवेशियों को सड़क पर आने से रोकने के लिए मालिकों से जुर्माना वसूली का प्रावधान बनाया गया.
जानकरी के मुताबिक मवेशी मालिकों पर 350 का जुर्माना था. देखने में आया कि ज्यादातर दुधारु मवेशी मालिकों ने जुर्माना अदा कर मवेशी ले जाने में रुचि दिखाई. बाकी मवेशी मालिक कांजी हाउस में झांकने भी नहीं आए. कुछ साल पहले दो-तीन बार मवेशियों की नीलामी भी की गई. लेकिन अब सड़कों पर बड़ी संख्या में मवेशी घूम रहे हैं. मवेशी मालिकों के खिलाफ निगम ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है.
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विपक्ष ने बताया रोका छेका अभियान को फ्लॉप
विपक्ष ने भी सरकार की महत्वकांक्षी योजना को पूरी तरह से फेल बताया है. जगदलपुर के पूर्व विधायक और वरिष्ठ बीजेपी नेता संतोष बाफना ने कहा कि जगदलपुर के साथ-साथ पूरे प्रदेश में राज्य सरकार का रोका छेका अभियान पूरी तरह फेल है. मवेशियों की देखरेख के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर गौठान और कांजी हाउस तो बनाया गया लेकिन गायों को रखने की किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही कांजी हाउस में गाय रहती है.
हालांकि मामले में महापौर सफिरा साहू का कहना है कि निगम प्रशासन कॉउ कैचर के माध्यम से शहरी क्षेत्र में घूमने वाले मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस में रख रहा है, लेकिन कई बार समझाइश के बावजूद मवेशी मालिक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. इस बार मवेशी मालिकों को चेतावनी देने के बाद जुर्माना वसूली के साथ कार्रवाई भी की जाएगी. फिलहाल कांजी हाउस के बारे में मिल रही शिकायत को दूर कर लिया जाएगा.
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