Bastar: बस्तर में फिर से बसेगा नक्सलियों के भय से उजड़ा गांव, हजारों विस्थापित आदिवासियों की होगी वापसी
Salwa Judum: नक्सलियों के डर से दूसरे राज्यों में विस्थापित हुए बस्तर के हजारों आदिवासियों को दोबारा बसाने की कवायद शुरू की जा रही है. प्रशासन ने इस मामले में अपनी तैयारियां शुर कर दी है.
Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में सलवा जुडूम के समय नक्सलियों के डर से दूसरे राज्यों में विस्थापित हुए बस्तर के हजारों आदिवासियों को दोबारा उनके जिले में बसाने की कवायद शुरू की जा रही है. हाल ही में आंध्र और तेलंगाना से कुछ आदिवासियों का दल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने राजधानी रायपुर पहुंचा हुआ था. आदिवासियों की मांग के बाद मुख्यमंत्री ने दूसरे राज्यों में विस्थापित हुए ग्रामीणों को वापस अपने गांव आने के लिए हर संभव मदद की बात कही. वहीं मुख्यमंत्री से आदेश मिलने के बाद अब इस मामले में बस्तर में प्रशासन ने काम शुरू कर दिया है.
इन्हें बनाया गया नोडल अधिकारी
इसके लिए बस्तर के संभाग आयुक्त श्याम धावड़े को नोडल अधिकारी बनाया गया है. यह पहला मौका है जब इन ग्रामीणों की मदद के लिए सीधे संभाग के 3 जिलों के कलेक्टर को जिम्मेदारी दी गई है. अब ग्रामीण कलेक्टर से सीधे संपर्क कर जिस गांव से नक्सलियों के डर से दूसरे राज्यों में विस्थापित हुए थे उसी गांव में वापस आ सकते हैं. इसके लिए प्रशासन हर संभव उनकी मदद करेगा.
हजारों ग्रामीणों ने छोड़ा था अपना गांव
दरअसल साल 2005 में सलवा जुडूम के भंग होने के बाद बस्तर संभाग के 3 जिले जिसमें सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में नक्सलियों का आतंक बढ़ गया और लगातार नक्सली ग्रामीणों की हत्या करने लगे. नक्सलियों के भय से उस वक्त हजारों आदिवासी ग्रामीण अपने गांव और घर खाली करके छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्य तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बस गए.
कुछ ही महीने पहले इन विस्थापित ग्रामीणों को भी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्य के फॉरेस्ट विभाग के द्वारा वहां से खदेड़ दिया गया. कई विस्थापित ग्रामीणों के मकान भी उजाड़ दिए गए. जिसके बाद ग्रामीणों के सामने जियो या मरो जैसी हालत हो गई थी. हालांकि राज्य सरकार ने इन ग्रामीणों की मदद के लिए स्थानीय स्तर पर प्रशासन की टीम गठित की, जिसके बाद टीम ने सर्वे किया और पूरे ग्रामीणों की जानकारी राज्य शासन को दी.
प्रभावित ग्रामीणों में खुशी की लहर
प्रभावित ग्रामीणों का एक दल हाल ही में राजधानी रायपुर पहुंच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की और उन्हें वापस अपने गांव में विस्थापित करने की मांग की. जिसके बाद अब तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में रह रहे ग्रामीण अब सीधे कलेक्टर से फोन पर संपर्क कर अपने गांव वापस आ सकते हैं. मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों को सुरक्षा के साथ ही रोजगार देने का भी आश्वासन दिया है.
मुख्यमंत्री ने कहा है कि अगर इन विस्थापितों के लिए पूरा गांव का गांव बसाना पड़े तो इसके लिए बिना कोई वजह के प्रशासन अपनी कार्रवाई शुरू करे. मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद ग्रामीणों में भी काफी खुशी है. 15 सालों से अपने गांव और घर छोड़कर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में खानाबदोश की जिंदगी जीने वाले ग्रामीण वापस फिर से अपने गांव आ सकेंगे और अपने खोए हुए जमीन पर खेती किसानी करने के साथ सुरक्षा के बीच अपनी जिंदगी बिता सकेंगे.
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