बस्तर में उच्च शिक्षा की राह में परेशानी, सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी नहीं हुई दूर
Bastar News: खाली पड़े पदों पर नियुक्ति नहीं होने से नियमित प्रोफेसरों की कमी बनी हुई है. कुलपति मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि कुछ कॉलेजों में अतिथि फ्रोफेसरों से काम चलाया जा रहा है.
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Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में उच्च शिक्षा की हालत बदहाल है. कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी से छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है. शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के अधीन आने वाले कॉलेजों में खाली पड़े पदों पर भर्ती बंद है. छात्रों को बेहतर उच्च शिक्षा सपना लग रहा है. शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के कॉलेजों में बीकॉम, बीए, बीएससी छात्रों की संख्या ज्यादा है. एडमिशन के अनुपात में प्रोफेसर उपलब्ध नहीं होने से पढ़ाई की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है.
कॉलेजों में संविदा पर भर्ती के बावजूद पद अब भी खाली हैं. शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति का कहना है कि खाली पड़े पदों से छात्रों की पढ़ाई पर असर नहीं पड़ेगा. कॉलेजों में प्रोफेसरों की भर्ती होने वाली है. बस्तर संभाग के सभी कॉलेजों में संसाधन और नियमित प्रोफेसरों का अभाव बरकरार है. जुलाई का महीना पूरा होने के बावजूद कॉलेजों में प्रोफेसरों की नियुक्ति नहीं हो पाई है. ज्यादातर कॉलेजों में वैकल्पिक व्यवस्था से छात्र पढ़ने को मजबूर हैं. खाली पड़े पदों पर नियुक्ति नहीं होने से नियमित प्रोफेसरों की कमी बनी हुई है.
सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी
शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के अंतर्गत बस्तर संभाग में करीब 30 से ज्यादा सरकारी और निजी कॉलेज संचालित हो रहे हैं. ज्यादातर सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी बड़ी समस्या है. ब्लॉक मुख्यालय के सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी का असर नियमित क्लास पर पड़ रहा है. विशेषज्ञ प्रोफेसरों की कमी के कारण विषय का समय पर पूरा होना मुश्किल हो गया है. छात्र संगठनों का भी कहना है कि कॉलेजों में पर्याप्त प्रोफेसर नहीं हैं. ऐसे में नियमित पढ़ाई नहीं हो पा रही है. बीएससी, गणित, केमिस्ट्री जियोलॉजी, फिजिक्स के विशेषज्ञ प्रोफेसरों की कमी बरकरार है.
अतिथि प्रोफेसरों से चल रहा है काम
कुलपति मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि विश्वविद्यालय के अधीन कुछ कॉलेजों में अतिथि फ्रोफेसरों से काम चलाया जा रहा है. नियमित प्रोफेसरों की भर्ती कुछ कॉलेजों में की गई है. कमी को दूर करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है. अतिथि प्रोफेसरों के भरोसे इस साल भी कोर्स पूरा कराने का प्रयास चल रहा है.
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