Bastar: 400 एकड़ खेतों में फेंक दिया गया स्टील प्लांट का दूषित पानी, कर्ज में डूबे किसान हुए बेहाल
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के किसान इन दिनों एक स्टील प्लांट से छोड़े जा रहे दूषित पानी के कारण परेशान हैं. उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं और जमीन की उर्वरता पर भी असर पड़ रहा है.
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Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) जिले के नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट (NMDC) के खिलाफ आसपास के किसानों ने मोर्चा खोल दिया है. किसानों (Farmers) का आरोप है कि प्लांट का दूषित पानी उनके खेतों में छोड़ा जा रहा है जिस वजह से उनकी खेती की जमीन बर्बाद हो रही है, करीब 400 एकड़ खेत इस प्लांट के दूषित पानी की वजह से बर्बाद हो चुके हैं जिससे किसानों को अपनी जमीन की चिंता सताने लगी है. आयरन-ओर युक्त लालपानी की वजह से उनके खेतो में फसल नहीं उग पाएगी.
किसानों का आरोप है कि प्लांट प्रबंधन के पास दूषित पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है जिस वजह से प्लांट के गेट नंबर -3 से पूरा दूषित पानी उनके खेतों में छोड़ा जा रहा है.सोमवार को इस प्लांट के दूषित पानी से प्रभावित किसानों ने जगदलपुर पहुंच विधायक से मदद की गुहार लगाई है और उनसे प्लांट प्रबंधन से उचित मुआवजा दिलाने की मांग की है.
प्लांट ने बिना बताए खेतों में छोड़ा पानी
नगरनार के सरपंच लैखन बघेल ने बताया कि एनएमडीसी स्टील प्लांट बनकर तैयार होने वाला है लेकिन एनएमडीसी प्रबंधन के द्वारा प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी की निकासी के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है. प्लांट के गेट नंबर -3 से आयरन ओर युक्त लाल पानी छोड़ा जा रहा है, बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने की वजह से आसपास के किसानों के पूरी उपजाऊ भूमि लाल पानी की वजह से बर्बाद हो रही है. कई किसान कर्ज में डूबकर खेती-बाड़ी कर रहे हैं ऐसे में प्लांट प्रबंधन ने बिना कोई जानकारी के और बिना सोचे-समझे अपने प्लांट का पूरा दूषित पानी उनके खेतो में छोड़ दिया है.
विधायक ने स्टील प्लांट मैनेजमेंट से की बात
उधर, विधायक रेखचंद जैन ने किसानों को उनके खेत को पहुंचे नुकसान के आंकलन के बाद उचित मुआवजा राशि दिलाने का आश्वासन दिया है. किसानों का कहना है कि उन्हें एक क्विंटल के लिए 2500 रुपये पर मुआवजा दिया जाना चाहिए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो प्रभावित सभी किसान आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. रेखचंद जैन ने एनएमडीसी प्लांट प्रबंधन से बात की है. विधायक का कहना है कि प्लांट प्रबंधन पहले ही किसानों की जमीन को औने-पौने दाम में खरीद लिया है, और अब जो थोड़ी बहुत खेती के लिए जमीन किसानों के पास बची हुई है उसमें प्लांट से निकलने वाला दूषित पानी छोड़ा जा रहा है.
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