Bastar News: आजादी के 75 साल बाद भी देश में कई जगहों में अंधविश्वास अपनी चरम सीमा पर है. खासकर पिछड़े इलाकों में अज्ञानता और अशिक्षा ने अंधविश्वास और काला जादू को बढ़ावा दिया है, जिसका खामियाजा कई लोगों को भुगतना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के सरोना गांव में भी एक ऐसा अमानवीय मामला सामने आया है, जिसने इंसानियत को शर्मशार कर रख दिया है. दरअसल, यहां एक 18 साल की लड़की के मानसिक रूप से बीमार होने की सजा पैरों में लोहे की बेड़ियों को बंधवाकर भुगतनी पड़ रही है.
पीड़ित लड़की के परिवार वालों ने गांव के एक बैगा की बातों में आकर इलाज के नाम पर अपनी ही बेटी के पैरों को बेड़ियों से बंधवा दिया, जिससे उसको चलने में काफी दिक्कत हो रही थी. हालांकि, जैसे ही इसकी जानकारी कांकेर कलेक्टर को लगी, तुरंत महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों के माध्यम से लड़की की बेड़ियां खुलवाई गईं. साथ ही बैगा को भी इलाज के नाम पर इस तरह की करतूत दोबारा नहीं करने की सख्त चेतावनी दी गई है.
बेड़ियों को बताया इसे इलाज का तरीका
दअरसल, कांकेर जिले के सरोना गांव में मानसिक रूप से कमजोर एक युवती जिसके पैरों में लोहे के बेड़िया बंधी हुई थीं. वह सड़क पर घूमती नजर आई. पता चला कि युवती मानसिक रूप से कमजोर है और घर से बार-बार बाहर निकल जाती है. इसका इलाज झाड़-फूंक और जड़ी बूटी के जरिए किया जा रहा है. बैगा ने परिवार वालों को इलाज के नाम पर युवती के दोनों पैरों को लोहे के बेड़ियों से बांध रखने की सलाह दी और इसे इलाज का एक तरीका बताया. इसके बाद यह मामला कांकेर कलेक्टर के संज्ञान में आया और कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने तुरंत महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम को इस बारे में सूचना देकर कार्रवाई करने को कहा.
इसके बाद विभाग की टीम मौके पर पहुंची और लड़की के पैरों को बेड़ियों से मुक्त करवाया. वहीं, जिस बैगा ने इस तरह का इलाज करने की सलाह दी थी, उसके पास पहुंचकर विभाग की टीम ने सख्त चेतावनी दी है. महिला एवं बाल विकास संरक्षण अधिकारी रीना लारिया ने बताया कि सरोना में एक बैगा ने मानसिक रूप से कमजोर युवती के पैरों में बेड़ियां लगा कर रखा था. बैगा ने पूछताछ में बताया कि लड़की भानुप्रतापपुर क्षेत्र की रहने वाली है, जो मानसिक रूप से कमजोर है और मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण लड़की बार बार घर से बाहर निकल जाती है, जिसका इलाज झाड़-फूंक और जड़ी बूटी के जरिए किया जा रहा है.
बैगा को दी गई चेतावनी
महिला बाल विकास अधिकारी ने बताया कि बैगा ने पिछले 20 साल से मानसिक रूप से कमजोर लोगों का इलाज करना स्वीकार किया है. फिलहाल, महिला बाल विकास विभाग की टीम ने लड़की की पैरों से बेड़ियों को खुलवा कर परिजनों को सौंप दिया है. वहीं, पूरे मामले में बैगा को समझाइश देकर नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. महिला बाल विकास अधिकारी ने बताया कि कांकेर जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में लगातार अंधविश्वास के प्रति जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन कुछ बैगा के बातों में आकर ग्रामीण इस तरह के कदम उठा रहे हैं. फिलहाल, बैगा को सख्त चेतावनी दी गई है और दोबारा इलाज के नाम पर इस तरह की करतूत करने पर कड़ी कार्यवाही करने की भी चेतावनी दी है.
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