Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में बीते 4 दशकों से नक्सलियों द्वारा जवानों को निशाना बनाये जाने और जवानों द्वारा उनके खिलाफ अभियान जारी है. इसमें नक्सली बस्तर में तैनात ज्यादा से ज्यादा सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचा सके इसके लिए अपनी वारदातों में घातक हथियारों का इस्तेमाल करते हैं. साथ ही अपनी गुरिल्ला युद्ध रणनीति के तहत घात लगाकर जवानों पर हमला करते हैं.


पिछले कुछ सालों से यह भी देखा जा रहा है कि नक्सली जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए तरह-तरह के घातक तरीके भी अपना रहे. इनमें से एक घातक हथियार है बूबी ट्रैप (स्पाइक होल). दरअसल बस्तर के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में खासकर माढ़ इलाके और घने जंगलों की कच्ची सड़कों और पगडण्डियों में बूबी ट्रैप (स्पाइक होल) का नक्सली इस्तेमाल कर रहे हैं. इस बूबी ट्रैप से जवानों को काफी नुकसान भी पहुंचा है.


घातक साबित हो रहा नक्सलियों का बूबी ट्रैप


दरअसल नक्सली अंदरूनी क्षेत्रों में खासकर घने जंगलों के बीच में कच्ची सड़कों में बूबी ट्रैप को बनाते हैं. इसके लिए नक्सली कम संसाधनों का इस्तेमाल कर बड़ी संख्या में इस तरह के बूबी ट्रैप बनाते हैं ताकि अंदरूनी क्षेत्र में गश्त पर निकलने वाले पुलिस के जवान आसानी से इस स्पाइक होल की चपेट में आ जाएं और उन्हें नुकसान पहुंचे. स्पाइक होल में नक्सली लोहे के पुराने छड़, रॉड और बांस को नुकीले तरह से छीलकर लगभग चार से पांच फीट का गड्ढा खोद इसके अंदर इसे रखते हैं. ऊपर से इसे झाड़ के पत्तों से या फिर छोटे-छोटे पेड़ के डंगालो से या बांस की बनी चटाई, घांस से पूरी तरह से मिट्टी पाटकर इसे ढक देते हैं.


इस ट्रैप को कई बार जवान भांप नहीं पाते और जैसे ही जवानों का पैर इस स्पाइक होल में फंसता है तो नुकीले छड़ जवानों के पैर और शरीर में बुरी तरह से घुस जाते हैं. इस स्पाइक होल में फंसकर कई जवान बुरी तरह से लहूलुहान हुए हैं. और जिनमें कुछ जवानों का इलाज अभी भी जारी है.


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45 जवान हो चुके हैं घायल


नक्सलियों के लिए जवानों को नुकसान पहुंचाने का यह काफी आसान तरीका होता है. इससे केवल जवान ही नहीं बल्कि आम जनता और मवेशी भी इस बूबी ट्रैप की चपेट में आकर बुरी तरह से घायल हो जाते हैं और कई मवेशियों की जान भी चली जाती है. कुछ ग्रामीणों की भी इस बूबी ट्रैप की चपेट में आने की वजह से मौत भी हो गई है.


बस्तर के आईजी पी सुंदरराज ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 2 सालों में नक्सलियों द्वारा घने जंगलों के बीच और कच्ची सड़कों के अलावा पगडण्डियों में बनाए जाने वाले इस स्पाइक होल की चपेट में आकर 45 से अधिक जवान बुरी तरह से घायल हुए हैं. 30 आम नागरिक भी इसकी चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हुए हैं. वहीं इससे मवेशियों की भी मौत हुई है. आईजी का कहना है कि नक्सली आमने-सामने की लड़ाई नहीं लड़ते बल्कि इस तरह के कायराना करतूतों को अंजाम देते हैं.


गश्ती के दौरान सतर्कता बरतने के निर्देश


बस्तर आईजी ने कहा कि खुद को ग्रामीणों का हितैषी बताने वाले नक्सलियों के इस बूबी ट्रैप से आम ग्रामीणों को भी काफी नुकसान पहुंचता है. आईजी का कहना है कि बीते कुछ सालों से जवान अंदरूनी क्षेत्रों में बूबी ट्रैप से बचने के लिए सावधानी रख रहे हैं. साथ ही इन क्षेत्रों में गश्त करते वक्त जवानों द्वारा खास सतर्कता भी बरती जा रही है.


इसके अलावा सरेंडर नक्सली जो कि अभी DRG पुलिस में शामिल हो चुके हैं उनकी मदद से भी इस बूबी ट्रैप को पहचाने में आसानी होती है. जवानों की टीम द्वारा बड़ी संख्या में इस बूबी ट्रैप को खोज निकलने में सफलता भी मिली है. उन्होंने कहा कि नक्सलियो द्वारा प्लांट किए जाने वाले IED बम, प्रेशर बम की पहचान तो पुलिस की BDS की टीम द्वारा की जाती है लेकिन इस स्पाइक होल को लेकर काफी सावधानी बरतनी पड़ती है.


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