Bastar News Today: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में पिछले 3 साल से सिटी बस सेवा ठप पड़ी हुई है. संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में सिटी बस का संचालन बंद होने से एक बड़ा वर्ग प्रभावित हो रहा है. लाख कोशिशों के बावजूद सिटी बस सेवा पटरी पर लौट नहीं पाई है.


दरअसल, जगदलपुर शहर के धरमपुरा इलाके में स्थित कॉलेज और यूनिवर्सिटी जाने के लिए छात्रों को ऑटो का सहारा लेना पड़ता है. इसी तरह शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित डिमरापाल में मेडिकल कॉलेज तक जाने के लिए भी सार्वजनिक यातायात सुविधा नहीं मिल पाती. 


'सिटी बसें हो चुकी हैं कबाड़ में तब्दील'
इसी तरह बड़ी संख्या में हर रोज कर्मचारी और मरीज मेडिकल कॉलेज तक आना जाना होता है. इसके अलावा जगदलपुर से पर्यटन स्थल चित्रकोट, तीरथगढ़ जाने के लिए भी सार्वजनिक यातायात सुविधा उपलब्ध नहीं है. 


निगम आयुक्त हरीश मंडावी का कहना है कि कोरोना काल के बाद से सभी सिटी बसें बंद हो गई. फिलहाल सिटी बसें अब कबाड़ में तब्दील हो रही हैं. इन बसों को सड़कों पर उतारने के लिए करीब 25 लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे. 


निगम आयुक्त का कहना है कि जल्द ही नए सिरे से सिटी बसों के संचालन के लिए ठेका दिया जाएगा. आने वाली सिक्योरिटी मनी के जरिए पहले वाहनों को सुधारा जाएगा, इसके बाद सिटी बसों का परिचालन शुरू किया जाएगा.


11 साल पहले शुरू की गई थी योजना
दरअसल, जगदलपुर शहर के अलावा  ग्रामीण अंचल के लोगों को भी आवागमन के लिए सस्ते दामों में यात्री परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए करीब 11 साल पहले बीजेपी शासनकाल में सिटी बस की शुरुआत की गई थी. 


इस योजना के तहत  जगदलपुर शहर को 12 से अधिक सिटी बसें मिली थी, लेकिन पिछले 6 सालों से इन बसों का संचालन बंद है. जिसके चलते करोड़ों की बसें यार्ड में खड़ी- खड़ी कबाड़ में तब्दील हो रही हैं. 


बस सेवा शुरू होने से बढ़ा था रोजगार व्यपार
सिटी बस सेवा शुरू होने के बाद बस्तर के ग्रामीण अंचल के लोगों को आवगमन में काफी आसानी हो गई थी. ग्रामीणों के अलावा कॉलेज में पढ़ने वाले ग्रामीण छात्र- छात्राओं को भी किफायती दाम में सिटी बस की सेवा मिल रही थी. 


इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों को सिटी बस जगदलपुर शहर से कनेक्ट करने पर यहां पर व्यापार में काफी बढ़ोतरी हुई थी. हालांकि बीते कई सालों से सिटी बस सेवा रखरखाव और मेंटनेंस के अभाव में कबाड़ में तब्दील होती जा रही हैं.


निजी बस संचालक वसूल रहे मनमाना किराया
बताया जा रहा है कि इन बसों का रखरखाव सही तरीके से नहीं किए जाने की वजह से सभी बसे खड़ी-खड़ी कबाड़ हो गई हैं. जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान में निजी यात्री बस संचालकों के जरिये उनसे मनमानी किराया वसूला जाता है.


थोड़ी दूर के सफर के लिए लोगों को इन बसों में नहीं बिठाया जाता है. निजी बस सेवा अगर बैठा भी लेते हैं, तो उनसे किराए के रुप में मनमाना पैसा वसूला जाता है. सिटी बसों के संचालन से आस-पास के गांव में जाने वालों को भी सुविधा मिल रही थी.


सिटी बस के लिए उठ रही ये मांग
बस्तर के जानकारों का कहना है कि वर्तमान में इन सिटी बसों को संचालित करने के लिए कोई ठेकेदार सामने नहीं आ रहा है, ऐसे में इन बसों को पूरी तरह से दुरुस्त करवाकर बस्तर के बेरोजगारों को किराए पर संचालित करने के लिए दिया जा सकता है. 


जिससे उन्हें भी रोजगार मिलेगा और लोगों को आवगमन की सुविधा भी दस्तयाब हो जाएगी. इसके लिए प्रशासन को पहल करना चाहिए. हालांकि निगम आयुक्त हरीश मंडावी का कहना है कि एक बार फिर से सिटी बस संचालन के लिए ठेका लिया जाएगा.


 निगम आयुक्त हरीश मंडावी ने इस ठेके से आने वाली सिक्योरिटी मनी से बसों को सुधारा जाएगा और इसके बाद फिर से इसका संचालन शुरू किया जाएगा. हालांकि इसके लिए अभी और समय लग सकता है.


ये भी पढ़ें: बस्तर में माओवादी संगठन को बड़ा झटका, 5 नक्सलियों ने सुकमा में किया सरेंडर, 19 लाख का था इनाम