CM साय की मौजूदगी में हुई बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण की पहली बैठक, 75 करोड़ का बजट पास
Bastar News: बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में 75 करोड़ का बजट पास हुआ. बैठक में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार पर फोकस करते हुए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास की योजनाएं बनाई गईं.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनने के बाद सोमवार (18 नवंबर) को बस्तर जिले के चित्रकोट पर्यटन स्थल में बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण की पहली बैठक आयोजित की गई, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में वन मंत्री केदार कश्यप, खेल मंत्री टंकराम वर्मा, प्राधिकरण की उपाध्यक्ष लता उसेंडी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरण देव समेत बस्तर के सभी बीजेपी कांग्रेस विधायक सांसद के साथ सातों जिलों के प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे, इस प्राधिकरण की बैठक में बस्तर के विकास के लिए 75 करोड़ का बजट पास किया गया.
इस बैठक में खासकर नक्सल प्रभावित जिलों को फोकस करते हुए कई योजनाएं भी तैयार किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर क्षेत्र में सरकार की योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए संसाधनों की कमी नहीं है. माइनिंग से प्राप्त निधियों का उपयोग विकास कार्यों में किया जा रहा है.
बस्तर संभाग के विकास को और गति देने हेतु आज चित्रकोट में बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक ली। बैठक में मंत्रीगणों, प्राधिकरण के सम्मानित सदस्यों, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ बस्तर अंचल के पर्यटन के लिए चिन्हित स्थानों को विकसित करने के लिए रणनीति तैयार की गई।… pic.twitter.com/5CSX8FZQFu
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) November 18, 2024
जनता के लिए बताया निराशाजनक
एक तरफ जहां मुख्यमंत्री ने इस प्राधिकरण के बैठक को बस्तर आदिवासी विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना, वहीं दूसरी तरफ इस बैठक में शामिल हुए पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेसी विधायक कवासी लखमा ने इस बैठक को फिजूल खर्च बताया, लखमा ने कहा कि इस बैठक में बस्तर के विकास पर कोई चर्चा नहीं की गई, ना ही कोई एजेंडे तैयार किये गये, कवासी लखमा ने बैठक की आलोचना करते हुए इसे बस्तर की जनता के लिए निराशाजनक बताया, उन्होंने कहा कि एनएमडीसी के लिए सुरक्षित रखी गई, वहीं सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल को निरस्त कर दिया गया है जो क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ा नुकसान है, लखमा ने इसे जनता के साथ धोखा बताया और कहा कि वे इस फैसले का विरोध करेंगे.
बैठक में 7 एजेंडों पर की गई चर्चा
दरअसल आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर के विकास के लिए 19 साल पहले प्राधिकरण का गठन किया गया था, हालांकि कांग्रेस के कार्यकाल में बस्तर के स्थानीय कांग्रेस से विधायक को इस प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया था, वहीं बीजेपी शासन काल में मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे हैं, वहीं प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में पहली बैठक चित्रकोट पर्यटन स्थल में आयोजित की गई.
लगभग 3 घंटे तक चली इस बैठक में 7 एजेंडे में चर्चा की गई, जिसमें मुख्य रूप से प्राधिकरण के गठन का स्वरूप ,प्राधिकरण का कार्य क्षेत्र, प्राधिकरण मद से स्वीकृत किए जाने वाले प्रमुख कार्य, वित्तीय वर्ष 2024- 25 में प्राधिकरण के लिए प्रावधानित बजट की जानकारी, इसके अलावा प्राधिकरण मद से वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2023- 24 तक स्वीकृत कार्यों की प्रगति की समीक्षा और बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण बैठक का पालन प्रतिवेदन और इसके अलावा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता की अनुमति से अन्य विषयों पर चर्चा की गई.
'डॉक्टरों और स्टाफ की कमी को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं'
सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों और सुझावों पर भी चर्चा की गई है, बैठक में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने क्षेत्र के विकास के लिए अपनी अपनी राय भी दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां बिजली की कमी है वहां सोलर ऊर्जा से बिजली और पानी की आपूर्ति की जा रही है, मोबाइल नेटवर्क के लिए टॉवर लगाए जा रहे हैं ताकि संचार व्यवस्था बेहतर हो सके, इसके अलावा औद्योगिक पार्क बनाने की तैयारी हो रही है, साथ ही सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल बनाया जा रहा है, जिससे बस्तर वासियों को लाभ मिलेगा,हालांकि अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
कांग्रेस के विधायक ने बैठक को बताया ढकोसला
इधर इस बैठक में शामिल हुए पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बैठक की आलोचना करते हुए इसे बस्तर की जनता के लिए निराशाजनक बताया, उन्होंने कहा कि एनएमडीसी के लिए सुरक्षित रखी गई जमीन पर सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल की योजना को निरस्त कर दिया गया है जो क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ा नुकसान है, लखमा ने कहा कि इस बैठक को जिला कलेक्टर कार्यालय या संभाग आयुक्त कार्यालय में भी किया जा सकता था, लेकिन पिकनिक मनाने के उद्देश्य से बीजेपी के नेताओं ने इस प्राधिकरण की बैठक को चित्रकोट पर्यटन स्थल में रखा जिस वजह से पर्यटकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा ,इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस बैठक में नक्सलवाद के मुद्दे पर भी कोई चर्चा नहीं की गई.
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