Tribal Movement in Bastar: छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासियों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है. हाल ही में सुकमा कलेक्टर को हटाने के लिए हजारों आदिवासी कलेक्ट्रोरेट का घेराव कर चुके हैं. उन्होंने कलेक्टर के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की थी. बड़ी संख्या में तैनात सुरक्षा बल भी आदिवासी ग्रामीणों को रोक पाने में असफल रहे थे. दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण में भी बुधवार को लगभग 26 गांव के ग्रामीणों और सर्व आदिवासी समाज ने  तहसील कार्यालय का घेराव किया. 19 सूत्रीय मांगों के साथ सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण कटेकल्याण तहसील पहुंचे.


पुलिस को ग्रामीणों के आने की सूचना पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था और सड़कों पर भी पूरी तरह से पुलिस का पहरा था. लेकिन ग्रामीण जंगल के रास्ते होते हुए तहसील कार्यालय पहुंचे और मांगों का प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा.


19 सूत्री मांगों का सौंपा ज्ञापन


सर्व आदिवासी समाज के कटेकल्याण ब्लॉक अध्यक्ष भीमसेन मंडावी ने कहा कि जल-जंगल-जमीन पर मूलवासियों का अधिकार है. अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा को शसक्त किया जाना है लेकिन सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है. इसलिए 26 गांव के सभी सरपंच, पंच ने 19 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यपाल अनुसूइया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम पर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा गया.


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पुलिस के साथ हुई झूमा झटकी


ग्रामीणों के आने की सूचना पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था. दंतेवाड़ा के एडिशनल एसपी राजेश जायसवाल खुद सुरक्षा की कमान संभाले हुए थे. लेकिन हजारों की संख्या में पहुंचे आदिवासियों ने जवानों को चकमा देकर जंगल के रास्ते सीधे तहसील कार्यालय पहुंच गए. हालांकि इस दौरान जवानों और ग्रामीणों के बीच हल्की झूमा झटकी भी हुई. मोर्चा संभाले हुए ASP नेग्रामीणों को समझाया और शांत किया.


क्या है आदिवासियों मुख्य मांगे?


ग्रामीणों की मांगों में मुख्य रूप से मजदूरों की मजदूरी 450 रुपए करने, ग्राम सभा की अनुमति के बिना भूमि का अधिग्रहण ना करने और 15 साल पहले से संचालित स्कूल और आश्रमों में नए भवन स्वीकृत करने, हर विभाग में पड़े पदों के आधार पर नई भर्तियां निकालने, पूर्व में नक्सली के नाम पर कैदी की रिहाई के बाद दोबारा सरेंडर ना कराने, गश्त पर निकलने वाले जवानों को ग्रामीणों से लूटपाट और अत्याचार ना करने ,NMDC की भर्तियों में रोस्टर का पालन करने, फर्जी मुठभेड़ में मारने वालों के ऊपर कार्रवाई करने, DRG जवानों की ग्रामीणों को नक्सली बताकर पकड़कर ले जाने की कार्रवाई बंद करना शामिल है. 


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