Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में एक आदिवासी महिला बस्तर संभाग के लोगों के लिए मिसाल बनी हुई है. आर्थिक तंगी की वजह से पढ़ाई छोड़ इस महिला ने बेहद कम उम्र में कुछ करने की ठानी और आज संभाग की इकलौती महिला बाइक मैकेनिक है. इस महिला ने खुद के दम पर न सिर्फ बाइक रिपेयरिंग और ऑटो पार्ट्स का शॉप खोला, बल्कि अपने साथ कुछ युवतियों को बाइक रिपेयरिंग की ट्रेनिंग भी देती हैं. हेमवती नाग बताती हैं कि आत्मनिर्भर बनने के बाद अब उसे रोजाना दो से तीन हजार रुपये की कमाई होती है.


रोजाना 2 से 3 हजार रुपये की होती है कमाई
छत्तीसगढ़ के बस्तर को आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है और यहां के अधिकांश आदिवासी ग्रामीणों का जीवन वनोपज पर ही निर्भर है. पिछले कुछ महीनों से एक आदिवासी महिला अपने हुनर और काबिलियत से पूरे संभाग में मिसाल बनी हुई है. जिले के बकावंड ब्लॉक के रेटावंड गांव की रहने वाली हेमवती नाग की बाइक रिपेयरिंग शॉप की जमकर तारीफ हो रही है. दरअसल इस रिपेयरिंग शॉप की तारीफ इसलिए हो रही है क्योंकि यहां एक महिला मैकेनिक बाइक की रिपेयरिंग करती हैं. हेमवती ने बताया कि शुरुआत से लोग कहते थे की मोटरसाइकिल बनाना आसान नहीं है. इसमें काफी मेहनत और ताकत लगती है, तुम नहीं कर पाओगी लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर हेमवती अपने काम में लगी रहती थी. हेमवती का कहना है कि अब अपने काम के बलबूते पर वह रोजाना दो से तीन हजार रुपये की कमाई कर लेती हैं. हेमवती ने कहा कि जब मन में कुछ कर गुजरने की ठान लो तो कोई काम असंभव नहीं होता है.


कुछ ही दिनों में सीखा बाइक रिपेयरिंग का काम
आसपास के गांव के ग्रामीणों का कहना है कि रेटावंड और उसके आसपास करीब 15 से 20 किलोमीटर तक कोई बाइक रिपेयरिंग की शॉप नहीं है. ऐसे में उन्हें अपनी गाड़ियों को पिकअप वाहनों में लादकर बकावंड ब्लॉक तक लाना पड़ता था, लेकिन हेमवती नाग ने कुछ साल पहले यहां रिपेयरिंग शॉप खोली अब आसपास गांवों की बाइक वहीं पर रिपेयरिंग होने जाती है. वहीं हेमवती ने बताया कि अब धीरे-धीरे वह अपने काम को बढ़ा रही हैं. कुछ ही दिन में बाइक रिपेयरिंग के साथ-साथ एक छोटे से ऑटो पार्ट्स की दुकान भी खोल ली है.


हेमवती ने बताया कि बचपन में ही माता-पिता गुजर गए ऐसे में एक छोटे भाई दो बहनों के साथ परिवार का पालन पोषण मुश्किल हो गया था. इस वजह से आठवीं तक शिक्षा लेने के बाद उसने आर्थिक तंगी की वजह से पढ़ाई छोड़ दी और खुद आत्मनिर्भर बन गई. अपने अंदर के झिझक को तोड़ा और पहले कुछ दिनों तक बाइक रिपेयरिंग का काम सीखा और अब खुद बाइक रिपेयरिंग शॉप का संचालन कर रही है. साथ ही आसपास की युवतियों को भी बकायदा बाइक रिपेयरिंग की ट्रेनिंग भी दे रही हैं.


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