Chhattisgarh News: एक तरफ जहां पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) का जश्न मनाया जा रहा था. वहीं छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के अंदरूनी ग्राम आंजर के पटेलपारा के लोग अपनी बेबसी से दो-चार कर रहे थे. दरअसल इस गांव तक पहुंचने के लिए इंद्रावती नदी पर पुलिया नहीं है. ऐसे में जरूरी सेवाओं के लिए डॉक्टर की जगह स्थानीय लोगों को ही प्रयास करना पड़ता है.
कांवड़ से महिला को पहुंचाया अस्पताल
ऐसा ही मंगलवार को हुआ जब गांव की चंपाबाई नाम की महिला को प्रसव पीड़ा हुई. लगातार बारिश के चलते नदी-नाले उफान पर है लेकिन इस गांव में पिछले कई सालों से ग्रामीणों के मांग के बावजूद पुलिया नहीं बनी है. इसके चलते शासन की 102 महतारी एक्सप्रेस की सुविधा भी इन तक नहीं पहुंच सकी. ऐसे में गांव वालों ने आपस में मिलकर बांस पर एक तरह का झूला बनाया. इस पर बिठाकर बिना देर किए महिला को लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के स्वास्थ केंद्र तक पहुंचाया.
जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित
बताया जा रहा है कि गांव के लोग महिला को लेकर भारी बारिश के बीच करीब 10 किलोमीटर तक का पैदल सफर तय कर अस्पताल तक पहुंचे. ग्रामीण ने बताया कि महतारी एक्सप्रेस की मांग की गई लेकिन बारिश की वजह से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंची. जिसके बाद एक के बाद एक ग्रामीण अपने कंधे पर कावड़ को बदलते-बदलते 10 किलोमीटर तक पैदल चलकर लौंहडीगुड़ा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया. हालांकि, अच्छी बात यह है कि प्रसव के दौरान महिला और बच्चे दोनों स्वस्थ हैं. डॉक्टरों के मुताबिक जच्चा और बच्चा दोनों की सेहत ठीक है और किसी की जान को खतरा नहीं है.
पुलिया की लंबे समय से हो रही मांग
इधर आंजर गांव के लोगों का कहना है कि सरकार किसी की भी हो उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. लंबे समय से प्रशासन के अधिकारियों और स्थानीय नेताओं को गांव में पुलिया बनाने की मांग की जा रही है. अब तक इस पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया. जिसका खामियाजा गांव वालों को भुगतना पड़ रहा है.