(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bastar: बस्तर की इंद्रावती नदी पर जल संकट का खतरा, कुछ ही दिनों के लिए बच गया है पीने का पानी
Indravati River: उड़ीसा से पानी आना लगभग बंद होता जा रहा है जिससे गर्मी में इंद्रावती नदी में जल संकट की समस्या उत्पन्न हो रही है. उड़ीसा सरकार छत्तीसगढ़ के हक का पानी देने के में आनाकानी कर रही है.
छत्तीसगढ़ के हजारों बस्तरवासियों पर जल संकट (water scarcity) का खतरा मंडराने लगा है और अब कुछ ही दिन के लिए पेयजल शेष रह गया है. दरअसल बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी (Indravati river) गर्मी का मौसम आते ही सूखने के कगार पर पहुंच गई है और धीरे-धीरे अब नदी का जलस्तर घटता जा रहा है. ऐसे में बस्तरवासियों के लिए कुछ दिनों का पीने का पानी शेष रह गया है. वहीं छत्तीसगढ़ और उड़ीसा सरकार के बीच हुए समझौते का पालन भी ओडिशा (Odisha) सरकार नहीं करती दिख रही है, जिसके चलते 8 टीएमसी पानी में से केवल 5 टीएमसी पानी ही छत्तीसगढ़ को मिल पा रहा है जो नाकाफी है.
ये है वजह
इधर गर्मी की शुरुआत में ही उड़ीसा से पानी आना लगभग बंद होता जा रहा है जिससे गर्मी में इंद्रावती नदी में जल संकट की समस्या उत्पन्न हो रही है. विडंबना वाली बात यह है कि उड़ीसा सरकार ने छत्तीसगढ़ से पैसे लेकर कंट्रोल स्ट्रक्चर का निर्माण करवाया है, बावजूद इसके अब उड़ीसा सरकार छत्तीसगढ़ के हक का पानी देने के में आनाकानी कर रही है.
केवल 5 टीएमसी पानी मिल रहा
दरअसल इंद्रावती नदी पर जल बंटवारे को लेकर छत्तीसगढ़ और उड़ीसा सरकार के बीच समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत उड़ीसा सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार को 8 टीएमसी पानी दिया जाना है, लेकिन वर्तमान में अधिकतम 5 टीएमसी पानी नदी में मिल पा रहा है. ऐसे में पेयजल की समस्या के साथ-साथ किसानों को सिंचाई के लिए भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
जानकार का क्या कहना है
जानकार हेमंत कश्यप का कहना है कि बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी बस्तर, बीजापुर से होकर गुजरती है और इन दोनों जिलों के दर्जनों गांव के लोग निस्तारी के साथ-साथ सिंचाई साधन के लिए इस पानी पर ही आश्रित हैं. ऐसे में इंद्रावती नदी में जल संकट एक गंभीर समस्या है. जल संकट का सबसे ज्यादा असर बस्तर जिले के घाटी नीचे बसे गांव और बीजापुर जिले के लोगों पर पड़ता है.
सरकार कर रही अनदेखी
इधर इंद्रावती नदी में स्थित देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट वाटरफॉल साल 2018 में पूरी तरह से सूख गया था. तब कोसारटेडा जलाशय से पानी छोड़ना पड़ा था. इसके बाद बस्तर के बुद्धिजीवियों ने इंद्रावती बचाओ समिति का गठन किया और उड़ीसा राज्य के जोरानाला से लेकर चित्रकोट वाटरफॉल तक लगभग 100 किलोमीटर की पदयात्रा की थी. बाद में सरकार ने इंद्रावती विकास प्राधिकरण का गठन करने घोषणा तो की, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई काम नहीं हो पाया है. वहीं उड़ीसा सरकार भी अपनी मनमानी करने में लगी हुई है. इसकी वजह से आने वाले समय में इंद्रावती नदी सूखने के कगार पर पहुंच जाएगी और बस्तर में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाएगी.
ओड़िशा सरकार से की जाएगी बात-विधायक
इधर इस मामले में बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और विधायक लखेश्वर बघेल का कहना है कि तेजी से सूख रही इंद्रावती नदी की चिंता सरकार को भी है, इसलिए इंद्रावती प्राधिकरण का गठन किया गया है. कोरोनाकाल की वजह से इसके बॉडी का अब तक निर्माण नहीं हो सका है, लेकिन विधायक का कहना है कि जल्द ही इस मामले को लेकर उड़ीसा सरकार से बातचीत की जाएगी. वहीं सूखती नदी को देखते हुए कुछ ही दिनों के लिए रह गए पानी की वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी भी की जाएगी.