Bastar News: बस्तर की महिला किसान ने संरक्षित किए 300 से ज्यादा किस्मों के देसी धान, इन बीमारियों में हैं फायदेमंद
Bastar farmer: बस्तर में एक महिला किसान ने 300 प्रकार के देसी धान को संरक्षित कर रखा है. इसके साथ ही वह पिछले 15 सालों से किसानों को जागरूक भी कर रही हैं.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ सालों से किसान अच्छे उत्पादन को देखते हुए हाइब्रिड धान पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. प्रदेश के कुछ हिस्सों में देसी धान उगाया जा रहा है. जिसमें बस्तर भी शामिल है. बस्तर की एक शिक्षित महिला किसान देसी धान लगाने के पिछले 15 सालों से किसानों को जागरूक कर रही हैं. महिला किसान के पास 300 से अधिक प्रजाति के देसी धान का कलेक्शन हैं. जिसे वे अपने डेढ़ एकड़ के खेत में लगाती है. महिला किसान प्रभाती भारत बताती हैं कि पिछली तीन पीढ़ियों से उनके परिवार की महिलाएं देसी धान को संरक्षित करने का काम करती आ रही हैं.
महिला स्व सहायता के माध्यम से बीज संरक्षण का कर रहे काम
जिले के छोटे गारावंड गांव की महिला किसान ने 300 प्रकार के देसी धान को संरक्षित कर रखा है. महिला किसान प्रभाती भारत अपने डेढ़ एकड़ की जमीन में हर साल 300 प्रजाति की धान की फसल उगाती हैं. प्रभाती अपने साथ कुछ ग्रामीण महिलाओं को जोड़कर देसी धान की फसल के लिए जागरूक कर रही हैं. बस्तर जिले में प्रभाती भारत एकलौती महिला किसान हैं जिन्होंने 300 से ज्यादा वैरायटी के देसी धान को संरक्षित कर रखा है.
महिला किसान प्रभाती के साथ ग्रामीण महिला स्व सहायता समूह की टीम भी है. जो बीज संरक्षण की दिशा में काम कर रही है. प्रभाती ने बताया कि उन्हें बीज संरक्षण की प्रेरणा उनकी सास व पति विजय भारत से मिली और वे पिछले 15 सालों से बीज संरक्षण पर अपना विशेष ध्यान दे रही हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास स्थित धान पूरी तरह से बस्तर संभाग का लोकल धान है. वे जब भी बस्तर के ग्रामीण अंचलों में जाती तो वहां पर अलग-अलग प्रकार के धान के बीज इकट्ठे करने लगती है. इसी के चलते उनके पास 300 से ज्यादा वैरायटी के धान संरक्षित है. जिसे वे अपने पास रखे हुए हैं.
15 सालों से देसी धान के फसल के लिए कर रही जागरूक
प्रभाती भारत ने बताया कि वे 300 से ज्यादा वैरायटी के धान को सुरक्षित कर उसमें तरह-तरह के प्रयोग कर रही हैं. मल्टीविटामिन, कैंसर, डायबिटीज समेत कई बीमारियों से लड़ने वाली वैरायटी भी उन्होंने तैयार किया है. साथ ही धान की 300 से ज्यादा किस्मों को विलुप्त होने से बचाने के लिए हर साल उन्हें अपने खेत में रोपती है. फसल तैयार होने तक पूरी देखभाल करती हैं. उन्होंने बताया कि डेढ़ एकड़ की जमीन पर लगभग 300 अलग-अलग प्रजाति के धान उगाने में काफी मेहनत लगने के साथ ही उन्हें इस बात का भी ध्यान देना होता है कि किसी भी तरह कोई भी धान की फसल आपस में न मिल पाए. इसके लिए वे बकायदा हर धान के नाम के साथ ही उसकी नंबरिंग भी करते हैं.
महिला किसान ने बताया कि एक धान की फसल में करीब दो से ढाई क्विंटल धान का उत्पादन होता है. शौकीन तौर पर वह इन तैयार हुए चावल को घर में ही खाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं. हालांकि वे आसपास के किसानों को भी प्रोत्साहित करने के लिए सभी धान की प्रजाति के बीज किसानों की मांग पर उन्हें देती हैं. प्रभाती भारत का कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य बस्तर में हाइब्रिड धान की पैदावार को खत्म कर देसी धान के लिए लोगों को जागरूक करना है. ताकि सभी लोग स्वस्थ रह सके और उन्हें किसी तरह की कोई बीमारी ना हो.
औषधि गुण से भरपूर है सभी देसी धान
प्रभाती भारत ने बताया कि उनके पास एंटी कैंसर और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दो प्रमुख वैरायटी लायचा और गठवन है. इसके अलावा ब्लैक राइस, रेड राइस और रानी बीज, राम लक्ष्मण, जावा फूल, तुलसीगढ़, बुधकमल, पंचरत्न, साहालोटी, लोकटा मांझी, खण्डसगर, जामवंत, नरिहर, गोल मिर्च, कुसुम भोग, सोना धान, केदार भोग, शंकर भोग जैसे ऐसे धान के बीज हैं जिससे डायबिटीज रोगियों के साथ ही अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह देसी राइस रामबाण हैं.
देसी धान के लिए चला रहे जागरूकता अभियान
इधर स्थानीय किसान भी अपने खेतों में देसी धान के बीज पिछले कई सालों से उगा रहे हैं. किसान ने बताया कि विजय भारत और उनकी पत्नी प्रभाती भारत लगातार किसानों को देसी धान बीज के लिए जागरूक कर रहे हैं. यही वजह है कि उनके आसपास के गांव के किसान भी देसी धान के बीज उगा रहे हैं. साथ ही अपने अपने खेतों में धान के अलग-अलग किस्मों की फसल भी ले रहे हैं.