Bastar: छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी मनरेगा कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को रोजगार मिलना पूरी तरह से बंद हो गया है. हजारों ग्रामीण मजदूर काम मिलने के अभाव में बेरोजगार हो गए हैं. दरअसल छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर नियमितीकरण और वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर मनरेगा में तैनात सभी अधिकारी और कर्मचारी पिछले 1 महीने से हड़ताल कर रहे हैं.
नहीं मिल रहा रोजगार
इनके हड़ताल पर चले जाने से मनरेगा योजना के तहत कोई भी काम नहीं हो पा रहा है और ना ही ग्रामीणों को रोजगार मिल पा रहा है. जिससे ग्रामीण मजदूरों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. इधर कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने की सूचना के बाद प्रशासन ने ग्राम पंचायतों के सचिवों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन रोजगार सहायकों के अनुपस्थिति की वजह से कार्यस्थलों से मजदूरों को वापस लौटना पड़ रहा है और उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है.
80 हजार मजदूर हुए प्रभावित
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी देने वाली केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना कर्मचारी और अधिकारियों के हड़ताल पर चले जाने से बंद हो गई है. इस योजना के अंतर्गत 350 से अधिक ग्राम पंचायतों में 80 हजार मजदूर काम कर रहे थे. कार्यस्थल में रोजगार सहायकों के नहीं होने से मजदूर वापस लौट गए हैं.
कोरोना काल बीतने के बाद रोजगार गारंटी में मजदूरों की लगातार संख्या बढ़ी है. मजदूरों को भुगतान करने के मामले में भी साल 2021 और 22 में बस्तर जिला भी अव्वल रहा है. 15 दिन के भीतर मजदूरी मिल जाने के कारण मजदूर अधिक संख्या में रुचि ले रहे थे लेकिन काम बंद होने से गांव में बेरोजगारी छा गई है.
जारी रहेगा राज्यव्यापी आंदोलन
इधर हड़ताल पर बैठे मनरेगा कर्मचारियों ने कहा है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे। मनरेगा के परियोजना अधिकारी पवन कुमार ने बताया कि राज्यव्यापी हड़ताल में इस बार आर पार की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि राज्य शासन की महत्वपूर्ण योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के विकास में रोजगार गारंटी का विशेष योगदान है.
गौठान, शेड निर्माण, मवेशियों के लिए कोटना, नेपियर चारा का रोपण, नरवा विकास आदि का काम रोजगार गारंटी के तहत होता है. कर्मचारियों के हड़ताल से सभी कामकाज ठप हो गए हैं और मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.
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