Chhattisgarh: अगर इंसान किसी भी काम को करने के लिए दृढ़ संकल्प कर ले. निष्ठा और लगन से किसी भी कार्य को करे तो निश्चित तौर पर वह जिस मुकाम तक पहुंचना चाहता है. जरूर पहुंच जाएगा. हम आज आपको कृषि के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं एक ऐसे किसान से परिचय करवाने जा रहे हैं जिन्होंने केवल चौथी कक्षा तक पढ़ाई की है और मात्र 6 एकड़ जमीन पर खेती की शुरुआत की और आज उनके पास 80 एकड़ जमीन है. जिस पर वह कई प्रकार की फसलों की खेती कर रहे हैं.
मेहनताना लेने गए पिता की होटल मालिक ने की थी बेइज्जती
बेमेतरा जिले के कोहड़िया गांव में रहने वाले किसान सुखराम वर्मा महज चौथी कक्षा तक पढ़े हुए हैं. सुखराम बताते हैं कि वह किशोरावस्था में रायपुर के एक होटल में कप - प्लेट धोया करते थे. लेकिन उन्हें उतना मेहनताना नहीं मिलता था. एक दिन उनके पिता होटल में एक महीने बाद उनका मेहनताना लेने पहुंचे तो होटल मालिक ने उनके पिता की बेइज्जती करते हुए यह कह दिया कि जितने का तुम्हारे बेटे ने काम नहीं किया उतने की तो कप प्लेट तोड़ चुका है. कहां से आपको मेहनताना दें. इस पर सुखराम के पिता सुखराम को वहां से लेकर अपने गांव आ गए फिर क्या था सुखराम के पिता ने सुखराम को कहा कि तुम्हें अब कहीं जाने की जरूरत नहीं है. यह हमारा 6 एकड़ की जमीन है तो इस पर खेती करो और अपनी फ्यूचर तय करो. तब से सुखराम ने तय किया कि वे कृषि के क्षेत्र कदम आगे बढ़ाएंगे इसी जमीन में खेती करेंगे और कृषि से ही अपना भविष्य तय करेंगे. सुखराम बड़ी लगन और मेहनत से 6 एकड़ जमीन में खेती करके आज इस कृषि के माध्यम से किसान सुखराम के पास 80 एकड़ की जमीन है और वे 80 एकड़ की जमीन पर कई तरह की फसलों की खेती कर रहे हैं.
कृषि के क्षेत्र में सुखराम को राष्ट्रपति से मिल चुका है सम्मान
सुखराम को कृषि के क्षेत्र वर्ष 2012 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा डॉ. खूबचंद्र बघेल कृषक रत्न पुरस्कार छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण से सम्मानित भी किया जा चुका है. सुखराम का कहना है कि कृषि अगर पूरी लगन और आधुनिकता के साथ की जाए तो वह किसी उद्योग से कम नहीं है. कृषि करके भी आदमी कोरड़पति बन सकता है. उन्होंने अपनी कहानी बताई जो सच में आज के किसानों और युवाओं के लिए प्रेरणा दायक है.
6 एकड़ जमीन से शुरू की खेती आज 80 एकड़ के मालिक है सुखराम
सुखराम वर्मा ने बताया कि उनके पास 6 एकड़ पिता की दी हुई जमीन थी. उस पर उन्होंने खेती करना शुरू किया. पहले साल पैदावार इतनी कम हुई कि साल भर तक खाने के लिए अनाज कम पड़ गये. इसके बाद सुखराम कृषि अधिकारियों से मिले. उन्होंने उन्नत बीज और खाद का इस्तेमाल करने की सलाह दी. उनके बताए अनुसार खेती करने से इतनी पैदावार हुई कि उससे अच्छी खासी आमदनी हुई. इसके बाद सुखराम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने उन्नत खेती करके इतनी आमदनी कमाई की आसपास की जमीन भी खरीदने लगे. धीरे - धीरे वह 80 एकड़ के जमीन के मालिक बन गए.
सुखराम इन फसलों की करते हैं खेती
सुखराम अपने 80 एकड़ की जमीन पर वह अपने यहां केला, पपीता, सब्जी व धान की पैदावार करते हैं. साथ ही दूसरे किसानों को भी खुद से खेती करने की सलाह देते हैं. किसान सुखराम इन फसलों का खेती करके लगातार कृषि की ओर अपना कदम बढ़ा रहे हैं साथ ही वे कहते हैं कि जिनके पास कम जमीन है उनके पास आय से फसल कैसे करना है वह सारी चीजें उनको बताएंगे और सिखाएंगे.
सुखराम का पोता हर्टीकल्चर की पढ़ाई कर कृषि कर रहा है
सुखराम बताते है कि उनके दो बेटे हैं वह भी पढ़े लिखे हैं. उनकी बहुएं भी पढ़ी लिखी हैं. पोते ने एमएससी (हर्टिकल्चर) किया है. बेटे व पोते को नौकरी के ऑफर भी आए, लेकिन उन्होंने उन्हें नौकरी नहीं करने दी. उनके बेटे बहू व पोते सभी ने खेती करने पर जोर दिया. उन्होंने खुद की जमीन ही नहीं दूसरों की जमीन भी ठेके पर लेकर खेती करना शुरू किया. आज उनका पूरा परिवार हर सुख सुविधा सपन्न है. इतना ही नहीं उनके यहां 30 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. सुखराम का पूरा परिवार खेत में ही बड़ा सा घर बनाकर रहता है उनका घर किसी आलीशान बंगले से कम नहीं है उनके पास वह सब सुविधा है जो शहरों में होती है.
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