Chhattisgarh by-election: आदिवासियों को मिलने वाली आरक्षण में 12 फीसदी कटौती को लेकर भानुप्रतापपुर के आदिवासी ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है और उनकी नाराजगी का नतीजा भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव (Bhanupratappur by-election) में भी देखने को मिल रहा है. दरअसल सर्व आदिवासी समाज के लोगों की सरकारों के प्रति इस कदर नाराजगी है कि वे अपने बयान पर अड़े हुए हैं और भानुप्रतापपुर विधानसभा (Bhanupratappur Assembly) के अंतर्गत आने वाले 465 गांव से एक-एक प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार रहे हैं.
50 ने खरीदा नामांकन फॉर्म
दरअसल 10 नवंबर से विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और रविवार तक केवल 2 लोगों ने नामांकन फॉर्म खरीदा था लेकिन सोमवार को सर्व आदिवासी समाज के करीब 50 उम्मीदवारों ने नामांकन फॉर्म खरीद लिया है. सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष जीवन ठाकुर का कहना है कि देर शाम होने तक करीब 100 प्रत्याशी नामांकन फार्म खरीद सकते हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा उपचुनाव के लिए हर एक गांव से अपना प्रत्याशी खड़ा करेंगे, समाज हर हाल में चुनाव लड़ेगा और जीतेगा भी. इधर आदिवासी समाज के इस फैसले से बीजेपी और कांग्रेस में खलबली मच गई है.
मनाने नहीं आ रहा कोई दल
सर्व आदिवासी समाज के इस फैसले से जिला प्रशासन के लिए उप चुनाव संपन्न करवाना बड़ी चुनौती भी साबित हो सकती है, क्योंकि भानुप्रतापपुर विधानसभा में 465 गांव हैं. अगर इतनी बड़ी संख्या में आदिवासी समाज अपने उम्मीदवारों को उतारता है तो ईवीएम मशीनों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ जाएगी. सबसे बड़ी चुनौती इतने कम समय में इतने ईवीएम मशीन मंगवाना और उसे अपडेट करना होगी. यह प्रशासन के लिए दिक्कतें पैदा कर सकती है. इधर सर्व आदिवासी समाज के नाराज लोगों को मनाने के लिए भी बीजेपी और कांग्रेस की ओर से कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, जिसके चलते समाज ने एक-एक गांव से अपने कैंडिडेट उतारकर फॉर्म खरीदना शुरू कर दिया है.
मंत्री कवासी लखमा ने क्या कहा
हालांकि बस्तर के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा का कहना है कि आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा सत्र में आरक्षण को लेकर बात जरूर रखी जाएगी और किसी भी स्थिति में आदिवासी समाज सरकार से नाराज ना हो इसकी पूरी कोशिश की जाएगी लेकिन फिलहाल अभी समाज के लोगों से कोई बातचीत नहीं हुई है. वहीं बीजेपी के लोगों ने भी सर्व आदिवासी समाज के नाराज लोगों से कोई बातचीत नहीं की है. अगर भानुप्रतापपुर विधानसभा के हर एक गांव से सर्व आदिवासी समाज अपने प्रत्याशियों को खड़ा करता है, तो ऐसे में इस उप चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.