Bhilai News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के भिलाई में राम रक्षा फाउंडेशन भिलाई की ओर से चीनी मिट्टी कला (सिरेमिक आर्ट) पर तीन दिवसीय विशेष कार्यशाला ''मातर'' का शनिवार से शुरू हो गई. लेमन सिरेमिक स्टूडियो स्ट्रीट-2 मैत्री कुंज पश्चिम रिसाली में आयोजित इस कार्यशाला में देश भर से आए हुए शिल्पकारों के साथ-साथ मध्यप्रदेश शासन के शिखर सम्मान से अलंकृत वरिष्ठ शिल्पकार निर्मला शर्मा विशेष रूप से शामिल हैं.


मशहूर शिल्पकारों ने साझा किए अपने अनुभव
पहले दिन कार्यशाला में मौजूद कलाकारों और आयोजकों ने अपने अनुभव बांटे. लेमन सिरेमिक स्टूडियो की डायरेक्टर विजया त्रिपाठी ने उद्घाटन सत्र में आमंत्रित सभी कलाकारों का अभिवादन किया और उनसे कहा कि आप अपने अपने सृजन से इस लेमन पॉटरी स्टूडियो के लिए कुछ अभूतपूर्व कलाकृतियां गढ़ें, जिससे आने वाले समय में हमारे भिलाई में लोगों को बेहतरीन कलाकृतियां स्टूडियों और यहां के आर्ट गैलरी में देखने के लिए उपलब्ध हो सके ताकि वे निरंतर नई ऊर्जा प्रदान कर सके.


विजय त्रिपाठी ने कहा कि ऐसी कलाकृतियों से और हम बेहतर क्या कर सकते हैं. लेमन सेरेमिक स्टूडियो में आप हमें उचित सलाह दें. यहां शिल्प सृजन में जुटे रायपुर निवासी विमल भूटान अपनी कला में छत्तीसगढ़ के गृह निर्माण की कला को सम्मिलित करते हैं. वर्तमान में माटी कला बोर्ड छत्तीसगढ़ शासन में डिजाइनर के पद पर नियुक्त विमल ने बताया कि छत्तीसगढ़ के गावों में घरों की जो आकृतियां बनाई जाती हैं, उस पर केंद्रित कार्य भी कर रहे हैं.


'कलाकृतियों से प्राकृतिक वस्तुओं को देते है बढ़ावा'
शिल्पकार करुणा सिद्ध ने बताया कि उन्होंने कलाकृति का निर्माण करना प्रारंभ किया है और लगातार अपनी कलाकृति से बालमन बच्चों को नए संदेश देने के लिए कार्य करती हैं. इस समय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अहिवारा में पदस्थ करूणा ने बताया कि कलाकृतियों में वह प्राकृतिक वस्तुओं को प्राथमिकता देती हैं. विशेषकर मशरूम की आकृति यह ज्यादा बनाती हैं. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से मूर्ति कला में स्नातक पिजन विभूति जैन ने उद्घाटन सत्र में एक सेरेमिक पॉट बनाना प्रारंभ किया है.


'अपनी कलाकृतियों से समाज को संदेश देने का कर रहे प्रयास'
धमतरी निवासी विभूति ने बताया कि कोरोना काल में उन्होंने इस कला शिविर में बनाए जाने वाली कलाकृतियों के रेखाचित्र बनाकर तैयार रख लिए थे. उन्हीं पर इन्होंने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है. इनकी योजना मास्क लगाए हुए आम नागरिक को दर्शाना है, जो मानव चेहरे की आकृति मिट्टी के गमले पर लेंगी. इन्होंने धातु शिल्प और कास्ट शिल्प में भी कार्य किए हैं. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से मूर्ति कला में स्नातक देशना के लिए इस शिविर में शामिल होने का यह पहला अवसर  है. उद्घाटन सत्र में देशना ने अपने जाने पहचाने अंदाज में पत्ती से सजा हुआ पेड़ बनाया है. देशना का कहना है कि मातर कला शिविर में आकर बेहद खुश हो रही है और यहां काफी कुछ सीखने मिलेगा.


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