Russia Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे लड़ाई में भारत के लोगों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. हालांकि भारत सरकार लगातार यूक्रेन में फंसे भारतीयों को भारत वापस लाने में लगी हुई है. इसी बीच छत्तीसगढ़ के 6 स्टूडेंट्स यूक्रेन से वापस आये हैं जिसमे भिलाई की शम्शी फिरदौश भी शामिल है. शम्शी ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि वहां फंसे भारतीय स्टूडेंट्स काफी बुरे दौर से गुजर रहे हैं. उसने बताया कि वह तो सुरक्षित वापस आ गई है लेकिन अभी भी उनके दोस्त वहां पर फंसे हुए हैं. उनकी हालत ऐसी है कि उनके पास खाने-पीने की सामग्री और पैसे भी नहीं है. एक खाने की थाली को कई लोगों के साथ शेयर करके खा रहे हैं. यदि उनको जल्द वहां से नहीं निकाला गया तो उनकी हालत और खराब हो जाएगी.


यूक्रेन से भिलाई पहुंची शम्शी फिरदौश ने क्या कहा?
  
शम्शी फिरदौश ने बताया कि वह यूक्रेन में एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रही है. जहां वह रहती थी वह  पश्चिम भाग है. वहां अभी स्थिति सामान्य है. ईस्ट जोन की हालत सबसे ज्यादा खराब है. खारकीव और कीव में हालात बहुत खराब हो चुके हैं. मैं तो किसी तरह यूक्रेन से सुरक्षित भारत आ गई हूं लेकिन मेरे दोस्त अभी भी वहां फंसे हुए हैं जो काफी बुरी स्थिति में हैं.


एक प्लेट में 10-12 लोग खा रहे हैं


शम्शी ने बताया कि हमारी यूनिवर्सिटी के लोगों ने काफी मदद की. सभी स्टूडेंट्स को वहां से बाहर निकालने में मदद की. मेरी एक दोस्त अदिति जो की भिलाई की है वह अभी कीव में फंसी हुई है. उसकी हालत काफी खराब है. उससे फोन पर बात हुई तो उसने बताया कि वहां सभी बच्चों को बंकर में रखा गया है. खाना उनके पास नहीं है. एक प्लेट में 10-12 लोग खा रहे हैं. एक एप्पल को बांटकर खा रहे हैं. उन्हें पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा है. जहां पर वह हैं वहां से कुछ ही दूरी पर बम ब्लास्ट हो रहे हैं. इससे वह लोग दहशत हैं. ये सारे लोग बंकर में ही रह कर अपनी जान बचा रहे हैं. वहां लगातार बमबारी हो रही है. 


यूक्रेनियन इंडियन से कर रहे बुरा बर्ताव


शम्शी फिरदौश ने बताया भारत सरकार एक ही फ्लाइट भेज रही है. जबिक वहां फंसे बच्चों की संख्या हजारों में है. वहां बच्चों को बार्डर पार नहीं करने दे रहे हैं. यूक्रेनियन लोग इंडियन से बुरा बर्ताव कर रही है. अभी सबसे सुरक्षित जगह यूक्रेन का जहोनी ही बचा है. वहां से भी कितने बच्चे बार्डर पार कर पाएंगे कुछ कह नहीं सकते. पोलैंड और रोमानिया वाले बार्डर पार करने नहीं दे रहे हैं.


घंटों लग रहे है बार्डर पार करने में


शम्शी फिरदौश ने बताया कि उन्हें रात को निकलना था. लेकिन उनकी बस सुबह आई.  सुबह बस से सभी बच्चे रहोनी बार्डर पहुंचे. वहां उन्हें 8 घंटे तक रोककर रखा गया. उनके सारे डाक्यूमेंट्स चेक करने के बाद उन्हें बार्डर के पार जाने दिया गया. बार्डर पार करते ही इंडियन एम्बेसी के लोग अपनी बस लेकर खड़े थे. वहां से हम लोग बुदाबस्ट एयरपोर्ट पहुंचे. फिर वहां से दिल्ली की फ्लाइट मिली.


परिजन खुश तो हैं लेकिन फंसे भारतीयों की कर रहे चिंता


शम्शी फिरदौश के यूक्रेन से भिलाई पहुंचने पर उनके घर वाले बहुत खुश हैं. उनका कहना है कि मेरी बेटी तो वापस आ गई लेकिन यूक्रेन में कई भारतीय फंसे हुए हैं जिन्हें जल्दी वापस लाने के लिए भारत सरकार को कड़ा कदम उठाना चाहिए. साथ ही वहां पर जो बर्ताव भारतीयों के साथ हो रहा है उन्हें भी संज्ञान में लेना चाहिए.


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