Bhupesh Baghel on Reservation: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ( Bhupesh Baghel) ने पिछले 4 दिनों में तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखा है. इस बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए अलग से कोड निर्धारित करते हुए राष्ट्रीय जनगणना की जाये. इसके अलावा उन्होंने स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए एनएमडीसी (NMDC)का मुख्यालय हैदराबाद (Hyderabad) से जगदलपुर (Jagdalpur) शिफ्ट करने का भी आग्रह किया है.


दरअसल, मंगलवार (29 अगस्त) को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. इसमें कई विषयों का जिक्र किया गया है, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण विषय राज्य में 76 फीसदी आरक्षण विधयेक का है. ये पिछले साल दिसंबर महीने से राजभवन में अटका है. विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर राज्य सरकार ने एसटी वर्ग को 32 फीसदी, एससी को 13 फीसदी, ओबीसी को 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस को 4 फीसदी आरक्षण देने को लेकर विधेयक पारित किया था. हालांकि इस विधेयक को अभी तक राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है.


सीएम बघेल ने की ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण की मांग


पीएम मोदी को लिखे पत्र में प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने कहा कि, 'अन्य पिछड़ा वर्गों के आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय पर और विलम्ब न करते हुए, आवश्यक पहल कर शीघ्र अतिशीघ्र सकारात्मक निर्णय लेने का कष्ट करें.' उन्होंने आगे कहा कि, 'मेरे द्वारा अप्रैल 2023 में छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ दिये जाने और इस विषय को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर आपसे अनुरोध किया गया था.'


सीएम बघेल ने कहा कि, 'आप सहमत होंगे कि सदियों से सामाजिक-राजनीतिक अधिकारों से वचित बड़ी आबादी को संविधान प्रदत्त समानता और सामाजिक न्याय की भावना के अनुरूप आरक्षण का लाभ दिया जाना जरुरी है.


बड़ी आबादी संवैधानिक अधिकारों से वंचित- सीएम बघेल


पत्र के जरिये सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, 'राज्य विधानसभा द्वारा दिसंबर 2022 में सर्वसम्मति से पारित विधेयक में राज्य में अनुसूचित जनजातियों को 32 फीसदी, अनुसूचित जातियों 13 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्गों 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 फीसदी आरक्षण लागू करने संबंधी विधेयक पारित किया गया था. दुर्भाग्य से वह विधेयक अभी तक राजभवन में अनुमोदन के लिए लंबित है.'


उन्होंने आगे कहा कि, 'समाज की बड़ी आबादी को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने से उनके मन में रोष व्याप्त होना स्वाभाविक है. राज्य सरकार के सभी प्रयासों के बाद भी अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ न मिल पाना समझ से परे है.


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