बीजापुर (Bijapur) में 17 साल पहले हुए नरसंहार के खिलाफ हजारों ग्रामीण लामबंद हो गए हैं. मारे गए 11  ग्रामीणों को याद कर घटना की न्यायिक जांच (Judicial Inquiry) की मांग की है. ग्रामीणों ने परिजनों को एक एक करोड़ रुपए मुआवजा और एक एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी देने की सरकार से अपील की है. आपको बता दें कि साल 2005 में बीजापुर जिले के चेरली गांव में नागा बटालियन (Naga Regiment) के जवानों ने 11 निर्दोष  ग्रामीणों को गोलियों से भून दिया था. 11 ग्रामीण खेतों में गाय चराने गए थे. जवानों ने नक्सली (Naxalites) बताकर सभी ग्रामीणों को खड़ा कर गोली मार दी.


नरसंहार के खिलाफ जनसभा


गोली लगने से सभी ग्रामीणों की मौत मौके पर ही हो गई. नरसंहार के बाद से परिजन और हजारों ग्रामीण न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं. कुछ दिनों तक नागा बटालियन के खिलाफ आंदोलन किया. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. लोगों के मुताबिक मारे गए ग्रामीणों में कुछ घर के मुखिया थे. परिवार का पालन पोषण उन्ही की कमाई से होता था. सरकार ने मुआवजा के नाम पर मृतकों के परिजनो को केवल एक एक लाख रुपये देकर खानापूर्ति किया. मामले में ना दोषियों को सजा मिली और ना ही मारे गए ग्रामीणों के परिवार को सरकारी नौकरी.


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17 साल पुरानी मांग को उठाया


घटना के 17 साल बाद उसी गांव में एक बार फिर हजारों ग्रामीण इकट्ठा हुए. करीब 14 गांव के हजारों ग्रामीणों ने विशाल जनसभा का आयोजन कर रैली भी निकाली और मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी. ग्रामीणों ने पारंपरिक अंदाज में शोक गीत गाकर और नृत्य कर मृत साथियों को याद किया. एक बार फिर ग्रामीणों ने 17 साल पुरानी मांग उठाई है. उनका कहना है कि मारे गए एक एक ग्रामीण के परिजनों को सरकार एक एक करोड रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी दे. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि मांग पूरी नहीं होने पर आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन किया जाएगा. 


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