Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में देश के सबसे बड़े आंदोलन में से एक सिलगेर का आंदोलन लगातार जारी है. दिल्ली में किसान आंदोलन के बाद छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में इतने दिनों तक आंदोलन चल रहा है. बीजापुर के सिलगेर में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर बीते साल भर से आंदोलन में डटे हुए हैं. ग्रामीणों के इस आंदोलन को एक साल एक महीना बीत चुका है लेकिन ग्रामीण अपनी जगह में जस के तस बने हुए हैं.


ग्रामीणों की मांगों को लेकर भी अब तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आ पाया है. आंदोलन कर रहे ग्रामीणों की मुख्यमंत्री से दो बार हुए मुलाकात के बावजूद कोई निर्णय नहीं निकलने के चलते ग्रामीणों का आंदोलन जारी है.


2021 में शुरू हुआ था आंदोलन


दरअसल, 11 मई साल 2021 में सुकमा और बीजापुर के सीमा पर मौजूद नक्सल प्रभावित गांव सिलगेर में बस्तर पुलिस के द्वारा नए पुलिस कैंप खोले जाने के विरोध में दोनों ही जिले के आसपास गांव के सैकड़ों ग्रामीण इकट्ठा हो गए. ग्रामीण इस कैम्प के विरोध में धरने पर बैठ गए. सैकड़ों की संख्या में सिलगेर में पुलिस कैंप के सामने आंदोलन पर बैठे ग्रामीण और पुलिस के बीच वाद विवाद की स्थिति भी बनी रही. ग्रामीणों का कहना था कि कैंप खुलने से जवानों के द्वारा ग्रामीणों पर अत्याचार बढ़ेगा. उन्हें झूठे केस में फंसाया जाएगा और जेल में डाल दिया जाएगा. जिसके चलते ग्रामीण नहीं चाहते कि सिलगेर में कैंप खुले.


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17 मई को आंदोलन हुआ था उग्र


बता दें कि 17 मई को ग्रामीणों ने अपने आंदोलन को उग्र कर दिया और इस दौरान कैंप में तैनात जवानों ने ग्रामीणों पर फायरिंग कर दी. पुलिस की फायरिंग से तीन ग्रामीणों की मौत हो गई. जबकि गोली चलने से हुए भगदड़ में एक गर्भवती महिला की दबकर मौत हो गई. इसके बाद ग्रामीण और भड़क गए और अपने आंदोलन को उग्र कर दिया.


इस घटना के बाद विपक्षी दल के नेता भी सिलगेर पहुंच ग्रामीणों के समर्थन में आंदोलन में शामिल होते रहे. इसके बाद घटना के जांच के लिए बस्तर सांसद दीपक बैज के नेतृत्व में बस्तर संभाग के कांग्रेसी विधायकों का दल ग्रामीणों से मिलने सिलगेर पहुंचा और ग्रामीणों को इस घटना की मजिस्ट्रियल जांच कराने का आश्वासन दिया. जिसके बाद इस पूरे घटनाक्रम की मजिस्ट्रियल जांच शुरू की गई. 


एक साल से चल रहा है आंदोलन


आंदोलन में बैठे ग्रामीणों ने बताया कि इस आंदोलन को एक साल बीत चुके हैं और इसकी मजिस्ट्रियल जांच भी हो चुकी है लेकिन अब तक सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है और ना ही दोषी पुलिसकर्मियों पर अब तक कोई कार्रवाई की गई है. इसके अलावा उन्होंने इस कैम्प को हटाने की मांग की और इसमें भी अब तक कोई पहल नहीं की गई है और ना ही इस घटना में मारे गए मृतक के परिजनों को मुआवजा राशि दिया गया है.


ग्रामीणों ने सरकार से मृतक के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा राशि और पुलिस की गोलीबारी से व भगदड़ में घायल हुए ग्रामीणों को 50- 50 लाख रुपए मुआवजा राशि देने की मांग की है..


 राज्यपाल से मिल चुके हैं आंदाेलनकारी


आंदोलन कर्ताओं की एक टीम प्रदेश के राज्यपाल से भी मुलाकात की और अपनी तीन सूत्रीय मांगो को लेकर ज्ञापन सौंपा, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि मांगों को लेकर अब तक कोई पहल नहीं की गई है, हालांकि मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान उन्होंने ग्रामीणों को ऑफर भी दिया लेकिन ग्रामीणों ने कहा कि उनकी मुख्य रूप से 3 मांग पूरी होने चाहिए, तभी अपने आंदोलन को ग्रामीण समाप्त करेंगे.


जानें क्या कहते हैं आईजी?


इस सिलगेर आंदोलन को लेकर बस्तर के आईजी सुंदरराज पी कहना है कि सिलगेर में कैंप ग्रामीणों के सुरक्षा के लिए खोला गया है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में लगातार पुलिस कैम्प खोले जा रहे हैं. जिसके चलते नक्सली पिछले कुछ सालों से बैकफुट पर है. सिलगेर में कैंप खुलने के बाद जिला प्रशासन और पुलिस बल के सहयोग से बीजापुर मुख्यालय से सिलगेर तक सड़क का निर्माण कार्य कराया है और सिलगेर गांव में लगातार विकास कार्य किया जा रहा है.


नक्सलियों के बहकावे में आकर कुछ ग्रामीण कैम्प के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं लेकिन उन्हें भी समझाने की पूरी कोशिश जवानों द्वारा की जा रही है. कैंप खुलने से नक्सली पूरी तरह से बौखलाए हुए हैं और ग्रामीणों की आड़ में कैंप का विरोध कर रहे है.


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