Bijapur News: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई एक कथित मुठभेड़ पर फिर सवाल उठने लगे हैं. मार्च महीने में बीजापुर जिले के पुसनार गांव में हुई मुठभेड़ को ग्रामीणों ने फर्जी बताया है. ग्रामीणों का आरोप है कि जवानों ने पहले नदी किनारे पार्टी मनाई फिर अलग-अलग जगह खड़े होकर गांव में कुल 5 रॉकेट लॉन्चर दागे.  जिनमें 3 रॉकेट लॉन्चर मौके पर ही फटे और 2 जिंदा हैं, जिन्हें गांव वालों ने सबूत के तौर पर अपने पास रखा है. इधर बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने ग्रामीणों के इन आरोपों को गलत बताया है. उन्होंने इसके पीछे नक्सलियों की साजिश होने की बात कही है.


जवानों ने खाया था बर्तन में खाना


दरअसल मामला बीजापुर जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र पुसनार गांव का है. इस गांव में पुलिस और नक्सलियों के बीच बीते 5 मार्च को मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ को गांव वालों ने पूरी तरह से फर्जी बताया है. गांव वालों ने इस कथित मुठभेड़ का विरोध किया है. पुसनार गांव के वड्डेपारा निवासी ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस के जवान कांवड़गांव की तरफ से आए थे और आयतु नाम के ग्रामीण के घर से जवानों ने बर्तन लिया था. फिर नदी किनारे जाकर पार्टी मनाई. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में नक्सली नहीं थे. जिस बर्तन को पुलिस फोर्स के जवान अपने साथ ले गए थे बाद में फोर्स ने नक्सलियों का है कहकर मीडिया में वायरल करवाया था. लेकिन वह ग्रामीणों का था और उसी बर्तन में जवानों ने खुद के लिए खाना बनाया था. ग्रामीणों ने बताया कि खाना खाने के बाद जवान वड्डेपारा की तरफ गए थे.


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गांव में नक्सली मौजूद नहीं थे


ग्रामीणों का आरोप है कि जवान गोंडेपारा और वड्डेपारा के बीच एक खुली जगह में खड़े थे. वहीं से उन्होंने पुसनार गांव के वड्डेपारा में अलग-अलग दिशाओं में कुल 5 रॉकेट लॉन्चर दागे. ग्रामीणों ने कहा कि जिस समय रॉकेट लॉन्चर दागे गए उस समय गांव के कुछ लोग हैंडपंप से पानी भर रहे थे और कई ग्रामीण महुआ बिन रहे थे. जब बम की आवाज सुनाई दी तो सभी दौड़कर अपने-अपने घर के अंदर चले गए. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में ग्रामीणों के अलावा कोई नक्सली मौजूद नहीं था. ग्रामीण महिला सनकी पुनेम और पुरूष मोती ने बताया कि उनके घर के सामने स्थित महुआ के पेड़ के पास एक रॉकेट लॉन्चर गिरकर फट गया था जिसके छींटे पेड़ पर पड़े. पेड़ में जगह-जगह छेद हो गए हैं जिसके निशान आज भी मौजूद हैं.


सबूत के तौर पर ग्रामीणों ने रखे 2 रॉकेट लॉन्चर 


इधर इस कथित मुठभेड़ को एक महीने बीत चुके हैं लेकिन दो जिंदा रॉकेट लॉन्चर को अब भी ग्रामीण अपने पास रखे हुए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि 2 रॉकेट लॉन्चर जो नहीं फटे हैं उसे वे अपने पास सबूत के तौर पर रखे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक इस मामले की जांच नहीं हो जाती तब तक वे रॉकेट लॉन्चर अपने पास ही रखे रहेंगे. बस्तर की समाज सेवी सोनी सोढ़ी का कहना है कि इस मामले को कोर्ट तक लेकर जाएंगे. जिस तरह से फोर्स ने गांव पर रॉकेट लॉन्चर दागे हैं ऐसे में एक की भी चपेट में ग्रामीण आते तो उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता था और उनकी मौत हो सकती थी.


बस्तर आईजी ने बताया नक्सलियों की साजिश 


बस्तर IG सुंदरराज पी ने कहा कि फोर्स को बदनाम करने के लिए यह नक्सलियों की बड़ी साजिश है. पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. जवानों ने ग्रामीणों पर किसी तरह का फायर नहीं किया था. उन्होंने कहा कि ग्रामीण अपने पास जो भी रॉकेट लॉन्चर रखे हैं उससे कहीं अब कोई नुकसान न हो जाए इसलिए उसे सुरक्षा की दृष्टि से वे पुलिस को दे दें जिसे डिस्ट्रॉय किया जा सके. इसके लिए गांव के सरपंच को नोटिस भी दिया गया था लेकिन उन्होंने रॉकेट लॉन्चर को मंत्री को सौंपे जाने की बात कही है.


मौके से ये सामान बरामद


दरअसल  दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले की सीमा पर नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने पर पुलिस ने ऑपरेशन चलाया था. पुलिस अधिकारियों ने बताया था कि यहां नक्सलियों के साथ जवानों की जबरदस्त मुठभेड़ हुई थी और नक्सलियों ने जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी. जवाबी कार्रवाई में नक्सली भाग खड़े हुए थे. नक्सलियों के कैंप को ध्वस्त किया गया था और यहां नक्सली खाना बना रहे थे. मौके से बर्तन, नक्सल साहित्य, UBGL सेल समेत अन्य सामान बरामद किए गए थे.


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