Bijapur News: बीजापुर जिले के सिलगेर गांव तक 20 साल बाद शुरू होगा यात्री बस का संचालन, अंतिम चरण में सड़क निर्माण
Bijapur News: बीजापुर के सिलगेर गांव तक एक बार फिर 20 साल बाद यात्री बस का संचालन शुरू हो सकेगा. प्रशासन नक्सलियों के भारी विरोध की परवाह ना करते हुए सड़क निर्माण कार्य को अंतिम रूप देने में जुटा है.
Bijapur News: बीजापुर जिले के सिलगेर गांव तक एक बार फिर 20 साल बाद यात्री बस का संचालन शुरू हो सकेगा. दरअसल इस इलाके में यात्री बस का आवागमन पिछले 20 वर्षों से बंद था. लेकिन प्रशासन नक्सलियों के भारी विरोध की परवाह ना करते हुए सड़क निर्माण कार्य को अंतिम रूप देने में जुटा है. गौरतलब है कि सिलगेर छत्तीसगढ़ का घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र और पहुंचविहीन मार्ग है. सड़क निर्माण होने से सिलगेर और आसपास के ग्रामीणों को यात्री बस सेवा दोबारा मिल सकेगी. सिलगेर गांव के ग्रामीण पिछले 6 महीनों से नये पुलिस कैंप खुलने का विरोध कर रहे हैं.
सड़क निर्माण कार्य का कलेक्टर, एसपी ने लिया जायजा
जिला प्रशासन कड़ी सुरक्षा के बीच मुख्यालय से गांव तक सड़क निर्माण करा रहा है. क्षेत्र में चल रहे सड़क निर्माण कार्य का कलेक्टर राजेन्द्र कुमार कटारा और एसपी कमलोचन कश्यप ने जायजा लिया. बाकायदा इस मार्ग को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बनाया जा रहा है और अब लगभग अब सड़क निर्माण का कार्य अंतिम चरण पर है. कलेक्टर ने बताया कि सड़क निर्माण का काम पूरा होते ही इलाके में यात्री बसें दौड़ने लगेंगी और नक्सलगढ़ के लोग सीधे जिला मुख्यालय से जुड़ पाएंगे. छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिले की सरहद पर स्थित सिलगेर गांव पूरी तरह से नक्सलियों का गढ़ है. लगभग 8 महीने पहले यहां सुरक्षा बलों का कैंप खोला गया है. कैंप के विरोध में ग्रामीण आज भी धरने पर बैठे हुए हैं. गलगम गांव भी पूरी तरह से संवेदनशील है.
यात्री बसें चलने पर बड़ी आबादी को सीधा फायदा मिलेगा
दोनों गांवों की दूरी बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 70- 80 किमी की है. सड़क निर्माण के बाद दोनों गांवों तक यात्री बसें चलने पर बड़ी आबादी को सीधा फायदा मिलेगा. बीजापुर कलेक्टर राजेन्द्र कुमार कटारा ने बताया कि सिलगेर और गलगम तक बसों का संचालन करने के लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया है. कमेटी ने रूट चाट तैयार कर लिया है. इलाके में सड़क निर्माण का काम लगभग 2 सप्ताह में पूरा हो जाएगा. दरअसल क्षेत्रफल की दृष्टि से बीजापुर जिला काफी बड़ा है. कई इलाके आज भी नक्सलियों के कब्जे में हैं. कई गांवों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है. जिन इलाकों में सड़क बनी है वहां नक्सली दहशत की वजह से कोई भी प्राइवेट बस नहीं चलती है. ऐसे में जिले के अंदरूनी गांव के ग्रामीणों को कई किमी का पैदल सफर तय कर ब्लॉक और जिला मुख्यालय आना पड़ता है.
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