छत्तीसगढ़ के इस अस्पताल में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में होता है इलाज, दो साल से जनरेटर खराब
Bijapur News: जनरेटर के अभाव मे वैक्सीन और टीके खराब हो रहे हैं. दो साल से खराब जनरेटर की सुध लेने वाला कोई नहीं है. बिजली नहीं रहने पर मरीजों के साथ स्वास्थ्यकर्मियों की भी परेशानी बढ़ जाती है.
Chhattisgarh News: बीजापुर का भोपालपटनम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाली के आंसू बहा रहा है. हालात ऐसे हो गये हैं कि बिजली गुल होने के बाद मोबाइल टॉर्च की मदद से स्टाफ नर्स को मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है. बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था होने के बावजूद मोबाइल की रोशनी में इलाज अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की पोल खोल देती है. दो बड़े जनरेटर करीब दो साल से खराब पड़े हैं. सौर पैनल भी ज्यादा समय खराब रहता है.
अस्पताल में बिजली नहीं रहने पर मरीजों के साथ कर्मचारियों की भी परेशानी बढ़ जाती है. कभी-कभी पूरी रात बिजली गुल रहती है. ऐसे में मरीजों का इलाज या गर्भवती महिलाओं का प्रसव स्टाफ नर्स को मोबाइल टॉर्च या मोमबत्ती की रोशनी में करना पड़ता है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ डॉ. चलपति राव समस्या के समाधान पर बोलने से बचते नजर आए. उन्होंने सीएमओ को जानकारी देने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. बीएमओ ने बताया कि अस्पताल में इनवर्टर भी है लेकिन वायरिंग के कारण चल नहीं पा रहा है.
अस्पताल में मोबाइल टॉर्च के सहारे होता है इलाज
बताया जा रहा है कि भोपालपटनम में नए बीएमओ की नियुक्ति के बाद भी स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर नहीं आयी है. आए दिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लापरवाही की खबरें उजागर होती हैं. बिजली गुल हो जाने के बाद अस्पताल अंधेरे की आगोश में छा जाता है.
फ्रिजर में टिटनेस की टीके, बच्चों को लगने वाली वैक्सीन भी खराब हो रही है. वैक्सीन को फ्रिज में रखना होता है. ऐसे में बिजली के नहीं रहने से वैक्सीन का मतलब नहीं रह जाता है. अस्पताल में पहले से दो जनरेटर लगे हुए हैं. दोनों तकरीबन दो साल से खराब हैं और सौर ऊर्जा भी बंद पड़ा हुआ है. बहरहाल अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं और ग्रामीणों के इलाज पर पड़ रहा है.
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