Judicial inquiry commission report: छत्तीसगढ़ के नौ साल पुराने मामले में न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट के बाद प्रभावित ग्रामीणों ने न्याय मिलने की उम्मीद राज्य सरकार से की है. दरअसल छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के एडसमेटा गांव में साल 2013 में पुलिस की ओर से हुई फायरिंग के दौरान 4 नाबालिग समेत 8 लोगों की मौत के मामले में 9 साल बाद राज्य सरकार की ओर से गठित न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा के सदन में पेश किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एड़समेटा में मारे गए लोगों में से कोई भी नक्सली नहीं था. जैसा कि उस समय आरोप लगाया गया था.


किसने की है घटना की जांच


घटना की न्यायिक जांच मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी.के अग्रवाल ने की है. उन्होंने यह रिपोर्ट 2021 के सितंबर माह में कैबिनेट में पेश की है जिसे 6 महीने बाद सीएम ने सदन में पेश किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जवानों के पास सुरक्षा के सही और पर्याप्त साधन नहीं थे. सुरक्षाकर्मियों ने घबराहट में गोलियां चलाई होगी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मारे गए आदिवासी निहत्थे थे और 44 राउंड गोलियां चलने से सभी मारे गए. इस मामले में घटना के दूसरे दिन से ही गांव के लोग मुठभेड़ के फर्जी होने की बात कह रहे थे. लेकिन उस दौरान उनकी बातों को कोई नहीं मान रहा था. इसके बाद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने मामले में जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया था.


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कैसे हुई थी घटना 


दरअसल साल 2013 में बीजापुर जिले के एडसमेटा गांव में जश्न का माहौल था. इस गांव के पुरुष ग्रामीण गांव से दूर मंदिर में बीजपंडूम त्यौहार मना रहे थे और महिलाएं घर पर थी. वहीं आधी रात अचानक गोलियों की आवाज आई और गांव की महिलाएं अनहोनी की आशंका के बीच बीजपंडुम वाले इलाके की तरफ दौड़ पड़ीं. चारों ओर से चीखने और चिल्लाने की आवाज आ रही थी. गांव के कई लड़के लहूलुहान पड़े थे. सुबह जब उजाला हुआ तो लहूलुहान लोगों में दो नाबालिग बच्चे भी शामिल थे. इनमें से एक बच्चा 10 साल का था और वह नक्सली नहीं था. वहीं दूसरा बच्चा किसान था और खेती-बाड़ी कर घर चलाता था.


फर्जी एनकाउंटर का ग्रामीणों ने किया था विरोध


इस घटना के बाद ग्रामीणों ने पुलिस के जवानों पर फर्जी एनकाउंटर का जमकर विरोध किया था. जिसके बाद विपक्ष में रहे कांग्रेस के दबाव पर मामले की निष्पक्ष जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया. साथ ही कांग्रेस ने भी कोंटा विधानसभा के विधायक कवासी लखमा के नेतृत्व में जांच समिति बनाई और इसकी रिपोर्ट तत्कालीन राज्यपाल को सौंपी थी. हालांकि इस घटना के 9 साल बाद इस मामले को लेकर कुछ पन्नों की जांच रिपोर्ट आई है. लेकिन कार्रवाई को लेकर कोई बात नहीं लिखी गई है. वहीं एडसमेटा के प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अब तक न्याय नहीं मिल पाया है और जब तक 4 नाबालिक  समेत 8 ग्रामीणों के हत्यारों को सजा नहीं मिल जाती तब तक ग्रामीणों को न्याय नहीं मिलेगा.


पूर्व केंद्रीय मंत्री का आरोप


इस मामले में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान कांग्रेस नेता अरविंद नेताम ने कहा कि बस्तर अपने यहां हुए कत्लेआम का सच जानना चाहता है. एडसमेटा कांड की रिपोर्ट सरकार को सार्वजनिक करनी चाहिए. अरविंद नेताम ने एडसमेटा की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठाई है. उन्होंने यह भी कहा है कि बस्तर के आदिवासी सरकार की कार्यवाही का इंतजार कर रहे हैं और अगर ऐसा नहीं हुआ तो माना जाएगा कि सरकार के लिए आदिवासी की जान की कोई कीमत नहीं है.


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