Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर (Bilaspur) हाईकोर्ट (High Court) में हाथियों के मामले में बड़ा फैसला सुनाया गया है. भीख मांगने के लिए उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से छत्तीसगढ़ लाए गए दो हाथियों के मामले में वन विभाग की लापरवाही पर कोर्ट में सुनवाई हुई है. कोर्ट ने राज्य शासन के वन विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. इसके साथ हाथी के मालिक प्रेम कुमार तिवारी और हाथियों से संबंधित केवलाशंकर चैरिटेबल ट्रस्ट से छह सप्ताह में जवाब मांगा है.
छह हफ्ते में जवाब देने के लिए हाईकोर्ट का नोटिस
दरअसल ये मामला 2019 का है, जब उत्तर प्रदेश से जून-जुलाई के महीने में भीख मांगने के लिए छत्तीसगढ़ लाए गए नर और एक मादा हाथी को रायपुर वन मंडल ने जप्त किया. बाद में उसे जुर्माना लगाकर सुपुर्दनामे पर छोड़ दिया गया था. जोकि नियम नहीं है. इस लिए रायपुर की संस्था पीपल फॉर एनिमल के यूनिट दो ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसके सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी और न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी की युगल पीट ने की है. इस ममाले में कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.
क्या है पूरा मामला
छत्तीसगढ़ में सालों से सैकड़ों किलोमीटर चला कर भीख मांगने के लिए उत्तर प्रदेश से हाथी लाए जाते रहे हैं. ऐसे ही दो हाथी जून-जुलाई 2019 में रायपुर लाये गए. जिसकी शिकायत पीपल फॉर एनिमल नामक संस्था की कस्तूरी बलाल ने वन विभाग से की. पहले महावतों ने हाथीयों का नाम चंचल और अनारकली बताया और प्रमाणपत्र प्रस्तुत किये. प्रमाणपत्र में दोनों हाथी मादा पाए गए तो बाद में नाम मिथुन और अनारकली बताया गया. इनमे से एक हाथी अंधा था और उसे पैदल चला कर उत्तर प्रदेश से रायपुर लाया गया था. दोनों हाथी में चिप लगना भी नहीं पाया गया, जब कि यह अनिवार्य है. शिकायत के बाद रायपुर वन मंडल ने दोनों हाथियों को जप्त कर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 48 ए के तहत अपराध पंजीबद्ध किया.
क्या है कानूनी प्रावधान
इन दोनों हाथियों को किसी सुरक्षित हाथी सेंचुरी में भेजने के बजाय रायपुर रेंज ऑफिसर ने हाथियों के मालिक से प्रत्येक हाथी का 25 हजार जुर्माना लेकर, सुपर्दनामे पर छोड़ दिया. याचिका में बताया गया की रेंज ऑफिसर को ना तो अर्थदंड लगाने का अधिकार प्राप्त है और ना ही शेड्यूल 1 के प्राणी को सुपर्दनामे में देने का प्रावधान है. रेंज ऑफिसर ने अपनी रिपोर्ट 18 सितंबर 2019 को अनुविभागीय अधिकारी रायपुर और वनमंडल अधिकारी रायपुर को प्रस्तुत की. इन्होंने रेंज ऑफिसर की रिपोर्ट को अप्रूव कर दिया. जनहित याचिका में बताया कि अधिकारियों द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार क्रिमिनल कोर्ट में प्रकरण दर्ज ना कर हाथियों को छोड़ा जाना अवैध है और वन्य जीव संरक्षण के प्रावधान के खिलाफ है.