Bilaspur News: पति से तलाक के बाद मां संग रह रही बच्ची को मिलेगा दादा-दादी का प्यार, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे का कल्याण सबसे महत्वपूर्ण है. माता पिता के साथ ही दादा दादी को मुलाकात का अधिकार देना आवश्यक है. दुर्ग भिलाई के एक कारोबारी की याचिका पर कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया.
Bilaspur High Court News: पति से तलाक के बाद मां संग रह रही बच्ची को दादा-दादी का प्यार मिलेगा. बिलासपुर हाईकोर्ट ने बच्चों के विकास में माता पिता समेत दादा दादी की भूमिका को भी महत्वपूर्ण माना है. हाईकोर्ट ने मां के साथ अलग रह रही बेटी से मिलने के लिए दादा दादी को अधिकार दिया है. एक पखवाड़े में हर शनिवार को दादा दादी पोती से मिल सकते हैं. जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच में सुनवाई हुई.
माता पिता के साथ दादा दादी को भी बच्चे से मिलने का अधिकार
बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा कि बेटी को पिता के प्यार से वंचित नहीं किया जा सकता है. बच्चे का कल्याण सबसे महत्वपूर्ण है. माता पिता के साथ ही दादा दादी को मुलाकात का अधिकार देना आवश्यक है. दुर्ग भिलाई के एक कारोबारी की याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कारोबारी की याचिका के मुताबिक 2007 में दोनों का विवाह हुआ था. जनवरी 2012 में एक बेटी ने जन्म लिया लेकिन कुछ समय बाद दोनों के बीच तनाव की स्थिति बन गई और पत्नी बेटी के साथ मायके आ गई. इसके अलावा पत्नी ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ थाने में केस दर्ज करा दिया. केस की वजह से पति और ससुराल वालों को जेल जाना पड़ा.
दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
पिता ने फैमली कोर्ट में परिवाद दायर कर बेहतर देखभाल के लिए बेटी को साथ रखने की इजाजत मांगी. लेकिन पत्नी ने बेटी को पिता के पास भेजने से इंकार कर दिया. फैमिली कोर्ट ने भी बेटी को पिता के संरक्षण में देने से मना कर दिया. फैसले के खिलाफ पिता ने हाईकोर्ट में अपील दायर की. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बेटी से मिलने का अधिकार दिया. आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक शनिवार और रविवार को 1 घंटा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बच्ची से पिता और दादा दादी बात कर सकते है. इसके अलावा प्रत्येक 15 दिन में शनिवार को पिता बच्ची को दिनभर पास रख सकता है. हाईकोर्ट के आदेश में आगे कहा गया है कि दशहरा, दिवाली, होली और अन्य त्योहारों पर भी बच्ची से पिता की मुलाकात हो सकती है. जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की.
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