छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट फूड (Ready to eat food) पर बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur High Court) में अहम फैसला हुआ है. कोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सरकार की नई व्यव्स्था को सही बताया. जस्टिस आर सी एस सामंत ने महिला स्व सहायता समूहों की दायर याचिका जो खारिज कर दिया है. अब ऑटोमैटिक मशीन से रेडी टू ईट फूड बनाया जाएगा जाएगा.
सरकार के पक्ष में फैसला
दरअसल बच्चों के पोषण आहार के लिए रेडी टू ईट फूड का वितरण किया जाता है जिसे लंबे समय से महिला स्व सहायता समूह द्वारा बनाया जा रहा था. रेडी टू ईट फूड के गुणवत्ता को लेकर कई बार शिकायत हुई. इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने मशीनों से अच्छी गुणवत्ता के फूड पैकेट तैयार करने का निर्णय लिया लेकिन हजारों महिला स्व सहायता की सदस्यों ने फैसले का विरोध किया. मामला हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनने का बाद राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है.
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सरकार ने क्या कहा
राज्य सरकार ने अपने जवाब में बताया है कि रेडी टू ईट फूड योजना में महिला स्व सहायता समूह को पूरी तरह से बाहर नहीं किया जाएगा. वे इसको बनाएंगी नहीं करेंगी लेकिन फूड वितरण की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूह को ही दिया जाएगा. अब रेडी टू ईट फूड निर्माण के लिए बीज निगम की बाधाएं दूर हो गईं हैं. जल्द ही गुणवत्ता पूर्ण फूड वितरित किया जाएगा.
कांग्रेस ने क्या कहा
बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले का छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने स्वागत किया है. उन्होंने ये आश्वस्त किया है कि महिला स्व सहायता समूह को सरकार से कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा. उनको फूड वितरण का काम पहले की तरह ही जारी रहेगा. शुक्ला ने कहा कि न्यायलय ने भी स्वीकार किया है कि सरकार द्वारा लिया गया रेडी टू ईट फूड निर्माण का फैसला सही था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सरकार ने ये निर्णय लिया था कि बच्चों के मध्यान भोजन में पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिशन जरूर होना चाहिए इसीलिए फैसला लिया गया था. यह बीज निगम के माध्यम से मशीनों द्वारा करवाया जाएगा.