Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में कचरा चुनने वाले बच्चों को हाई कोर्ट ने दिया ‘आसरा’, काउसलिंग कर स्कूलों में मिल रहा दाखिला
Bilaspur News: छत्तीसगढ़ में बेसहारा, घुमंतू बच्चों को शिक्षा देने और मुख्यधारा में जोड़ने के लिए हाई कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है. एक अभियान के तहत ऐसे बच्चों की काउंसलिंग होगी और उसे स्कूल भेजा जायेगा.
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Bilaspur HC: छत्तीसगढ़ में बेसहारा और घुमंतू बच्चों को शिक्षा देने और मुख्यधारा में जोड़ने के लिए बिलासपुर हाइकोर्ट सामने आया है. कोर्ट के निर्देश पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा आसरा अभियान चला रहा है. इसके जरिए ऐसे बच्चों सड़कों पर कचरा बिनकर जीवन यापन करने वाले बच्चों को काउंसलिंग कर स्कूल में प्रवेश दिलाया जा रहा है.
प्रदेश भर में 150 बच्चों को मिला लाभ
दरअसल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कोरोना के बाद से प्रदेश में 150 बच्चों को इस योजना के जरिए पुनर्वास चुका है. कई बच्चों के सिर से माता-पिता का सहारा हट चुका है. जीवन जीने के लिए बच्चे पन्नी बिनकर खाने-पीने के लिए सामान जुटा रहे हैं. मार्गदर्शक नहीं होने के कारण बच्चे नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं. इसलिए हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारी इन बच्चों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं और बच्चों से मिलकर उन्हें शिक्षा के लिए जागरूक कर रहे हैं.
बिलासपुर में 29 बच्चों का पुनर्वास
बिलासपुर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव डॉ. सुमित सोनी ने बच्चों के काउंसिलिंग की प्रक्रिया बताई है. उन्होंने कहा कि सड़क, रेलवे स्टेशन, लावारिश बच्चों के पुनर्वास के लिए आसरा नाम का अभियान चलाया जा रहा है. इसके अंतर्गत बेसहारा अनाथ बच्चों को चिंहित कर बाल सौरज्य पोर्टल पर पंजीयन किया जाता है. इसके बाद पुनर्वास के लिए प्रभावी कार्यक्रम किया जा जाता है. बिलासपुर में 29 बच्चों का अब तक पुनर्वास किया जा चुका है.
मिलेगी आर्थिक सहायता
पात्रता की श्रेणी में आने वाले परिवार के अधिकतम दो बच्चों को प्रतिमाह 2 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी. परिवार में दो से अधिक बच्चे होने पर बालिकाओं को प्राथमिकता दी जायेगी. चार से अधिक बच्चे वाले परिवार को सहायता का लाभ नहीं मिलेगा. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा संधारित बाल स्वराज पोर्टल में दर्ज हो.
इन बच्चों को मिलेगा लाभ
पात्रता के लिए नियम तय किए गए हैं. इसमें सड़क में रहने वाले बच्चे, एकल माता-पिता के बच्चे, विधवा, ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी हो और विस्तारित परिवार की देखरेख में रहते हों, ऐसे बच्चे जिनके माता पिता जेल में हों, ऐसे बच्चे, जिनके माता-पिता किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हों, एड्स प्रभावित बच्चे और मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्चे. इसके अलावा पुनर्वास के चयन से पहले परिवार की वार्षिक आय की भी जांच होती है. महानगरों के लिए 36 हजार रुपए प्रति वर्ष, ग्रामीण क्षेत्रों में 24 हजार वार्षिक आय और अन्य नगरों के लिए 33 हजार प्रतिवर्ष वार्षिक आय वाले परिवारों के बच्चे आसरा अभियान के लिए पात्र होंगे.
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