Bilaspur News: हाल ही में देश में हिजाब पहनने को लेकर जोरदार विवाद छिड़ा था. स्कूलों में मजहबी पहनावे को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी भी की थी. वहीं अब इस सबके बीच छत्तीसगढ़ में भी एक ऐसा ही मामला विवादों में है. दरअसल बिलासपुर हाईकोर्ट में एक तलाकशुदा महिला के जींस-शर्ट पहनकर दफ्तर जाने पर सवाल उठाए गए हैं. दरअसल पूरा मामला एक तलाक की अर्जी से जुड़ा हुआ है. महिला के पति ने तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी मांगी और कोर्ट में तर्क दिया कि पत्नी जींस-शर्ट पहनती है जिससे बच्चे पर गलत असर पड़ेगा.
पहनावे का चरित्र से कोई लेना-देना नहीं-बिलासपुर हाईकोर्ट
इस मामले पर हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी महिला का चरित्र उसके पहनावे से तय नहीं किया जा सकता है. बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की बेंच ने बच्चे की कस्टडी को लेकर दायर याचिका में अहम टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि महिला का चरित्र उसके जींस और टीशर्ट पहनने या ऑफिस में पुरुष सहयोगी के साथ काम करने या उसके साथ काम के सिलसिले में कहीं बाहर जाने से तय नहीं हो सकता है.
पिता ने ऐसे मांगी थी बेटे की कस्टडी
दरअसल पूरा मामला महासमुंद का है. दंपति ने शादी के 2 साल के अंदर ही तलाक ले लिया था. अब दोनों का पांच साल का एक बेटा है. पति बेटे की कस्टडी चाहता है और इसके लिए उसने तर्क दिया था कि बच्चें की मां जींस-टॉप पहन कर ऑफिस जाती है, उसने अपनी पवित्रता खो दी है. इससे बच्चे पर गलत असर पड़ रहा है.कोर्ट ने पति के याचिका को खारिज कर दिया और मां के पक्ष में फैसला सुनाया. हालांकि कोर्ट ने कहा कि पिता अपने बच्चे से तकनीकी माध्यमों के जरिए संपर्क में रह सकता है.
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