Bilaspur News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने और घर बैठे ऑनलाइन पैसा कमाने का लालच देकर ठगी करने का धंधा पैर पसार रहा है. हाल ही में बेरोजगारों से ठगी करने के इसी तरह के कई मामले सामने आए हैं. इसमें पुलिस ने कई गिरफ्तारियां भी की हैं. इसी क्रम में बेरोजगार युवाओं को ऑनलाइन पैसा कमाने का झांसा देकर बरगलाने वाले दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.


होटल में सेमिनार कर दे रहे थे ट्रेनिंग
दरअसल, दोनों आरोपियों ने चीनी ऐप में ऑनलाइन पैसे इंस्वेस्ट करने का झांसा देने के लिए एक होटल में सेमिनार का आयोजन किया था. तभी पुलिस को इसकी भनक लग गई. मामला सिविल लाइन थाना इलाके का है. प्रशिक्षु आईपीएस संदीप पटेल को जानकारी मिली कि पुराना बस स्टैंड रोड स्थित होटल एमराल्ड में एक सेमिनार चल रहा है. इसमें शहर और आसपास के गांवों से करीब 50 लोगों को बुलाया गया है. आयोजक अपने आप को ऑनलाइन इन्वेस्टर बताकर लोगों को चीनी ऐप '10 बिलियन' में इन्वेस्ट करने के लिए बरगला रहे थे और दो गुना पैसे मिलने का झांसा दे रहे थे. 


भनक लगते ही पहुंच गई पुलिस
खबर मिलते ही उन्होंने पुलिस की टीम के साथ प्रशिक्षु आईपीएस ने होटल में दबिश दी. होटल पहुंचकर पुलिस ने पहले जानकारी ली, तब पता चला कि दो लोग चीन के एक ऑनलाइन ऐप में रुपए लगाने के लिए ट्रेनिंग दे रहे थे. इसके एवज में भी ये लोग एंट्री के नाम पर पैसे वसूल रहे थे. सेमिनार में आए लोगों को चैनल बनाकर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने पर ज्यादा कमाई होने के दावे भी कर रहे थे. 


पुलिस ने दो को किया गिरफ्तार
पुलिस ने मौके पर मौजूद लोगों को ऐसे लोगों से दूर रहने की चेतावनी दी. पुलिस ने लोगों को बताया कि ऐसे लोग ही इन्वेंस्टर बनकर पैसे लेकर फरार हो जाते हैं. पूछताछ के बाद पुलिस वहां से सेमिनार के आयोजक जांजगीर निवासी दिलीप वर्मा और सकरी के संतोष सोनवानी को पकड़कर थाने ले आई. पूछताछ के बाद दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.


200 दिन में पैसे डबल होने का दे रहे ​थे झांसा
पुलिस को पता चला कि आरोपी दिलीप वर्मा और संतोष सोनवानी चिटफंड कंपनियों की तर्ज पर लोगों को अपने झांसे में ले रहे थे. उन्हें पैसे लगाने पर 200 दिन के भीतर डबल पैसा वापस दिलाने का झांसा दे रहे थे. इससे पहले भी जिले के लोगों को ऐसे ही बड़े होटलों में सेमिनार के नाम पर बुलाया जाता था. यहां पर लोगों को मोटी कमाई का झांसा देकर उनसे रकम ली जाती थी. दूसरे लोगों को भी इसमें जोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता था. इसके बाद कंपनी के कर्ताधर्ता रुपए लेकर गायब हो जाते थे.


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