छत्तीसगढ़ के बस्तर की प्राणदायिनी इंद्रावती नदी की घटते जलस्तर को लेकर अपने बस्तर प्रवास पर पहुंचे केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने छत्तीसगढ़ और ओड़िशा के सीमा पर मौजूद जोरा नाला में बने स्ट्रक्चर का दौरा किया. मंत्री के साथ इस दौरे में सीडब्ल्यूसी के अधिकारी और छत्तीसगढ़ और ओड़िशा सरकार के जल संसाधन विभाग के आला अधिकारी के साथ ही बस्तर के सामाजिक संगठन के लोग भी मौजूद रहे.
बकायदा मंत्री ने जोरा नाला में बने स्ट्रक्चर का निरीक्षण किया. साथ ही आखिर किस वजह से छत्तीसगढ़ के बस्तर को इस नदी में पानी को लेकर हो रहे किल्लत को लेकर जांच की बात कही, हालांकि मंत्री ने कहा कि सूखती इंद्रावती नदी की हकीकत जानने के लिए बकायदा एक एक्सपर्ट टीम का गठन भी किया जाएगा और इस टीम के द्वारा पूरी जांच-पड़ताल कर उन्हें रिपोर्ट सौंपा जाएगा और उसके बाद ही इस पर निर्णय लिया जा सकेगा, केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री ने कहा कि इससे पहले दोनों ही सरकार को केंद्रीय राज्य जल शक्ति विभाग के द्वारा पत्राचार किया जाएगा.
दरअसल गर्मी का मौसम आते ही एक बार फिर से इंद्रावती नदी में जल संकट का खतरा मंडराने लगा है, और सालों साल तेजी से इस नदी की जलस्तर भी घटती जा रही है. वहीं इस साल मार्च से ही नदी में पानी की भारी कमी देखी जा रही है, जिसको लेकर बस्तर के सामाजिक संगठनों ने और जल संसाधन विभाग ने भी चिंता जाहिर की है. इस दौरान ओड़िशा के सांसद और केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री विश्वेश्वर टूडू भी बस्तर प्रवास पर पहुंचे हुए थे.
दंतेवाड़ा, सुकमा में दौरा करने के बाद जगदलपुर में अपने प्रवास के दौरान मंत्री ने इंद्रावती नदी के घटते जलस्तर की हकीकत जानने ओड़िशा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर मौजूद जोरा नाला एनीकट का दौरा किया, बकायदा उनके साथ दोनों ही राज्यों के जल संसाधन विभाग के अधिकारी और सीडब्ल्यूसी के अधिकारी मौजूद रहे. केंद्र राज्य मंत्री ने नदी को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि दोनों ही सरकार की ओर से नदी में जो भी एनीकट बनाए गए हैं और पानी को रोकने को लेकर जो भी निर्माण कार्य किए गए हैं वह केवल एक टेंपरेरी हैं. दोनों ही सरकार ने इसका स्थाई समाधान नहीं निकाला है, जिस वजह से पानी की धार और दिशा सही नहीं है, उन्होंने कहा कि इसमें स्टडी करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि आगामी 2 महीने में दोनों राज्यों के सेक्रेटरी लेवल के मीटिंग किए जाएंगे जिसमें टेक्निकल टीम भी मौजूद रहेगी, दोनों ही सरकार के जल विभाग के अधिकारी अपने साथ बकायदा डाक्यूमेंट्स लेकर भी पहुंचेंगे, जिसमें यह पता लगाया जाएगा कि पहले इंद्रावती नदी का स्टेटस कैसा था और जोरा नाला का स्टेटस क्या था, जिसके बाद एक एक्सपर्ट टीम का गठन किया जाएगा, जो इसकी जांच करेगी और 2 महीने में कमेटी को रिपोर्ट सौपेगी. मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने कहा कि इससे पहले दोनों ही राज्यों को इंद्रावती नदी और जोरानाला से मटेरियल हटाना चाहिए और किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इस सूखती इंद्रावती नदी की समस्या का समाधान दोनों सरकार के बीच आपसी बैठक के बाद ही संभव हो सकती है, और इसके लिए केंद्रीय राज्य जल शक्ति विभाग हर संभव मदद करेगा.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से इंद्रावती में जलस्तर घट रहा है यह आने वाले दिनों में काफी चिंता का विषय हो सकता है. ऐसे में इस पर ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, उन्होंने कहा कि सबसे पहले दोनों सरकार को पत्राचार किया जाएगा और जल्द ही सेक्रेट्री लेवल पर बैठक रखा जाएगा और आगामी 3 से 4 महीनों में इस समस्या का समाधान किया जाएगा. ताकि दोनों ही राज्य के लोगों को इंद्रावती नदी का पर्याप्त पानी मिल सके.
इसे भी पढ़ें: