आंध्रप्रदेश के 4 साल से राज्यपाल रह चुके बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाया गया है. बिस्वा भूषण ओड़िशा के रहने वाले हैं. ओड़िशा छत्तीसगढ़ का पड़ोसी राज्य है. दोनों राज्यों के सांस्कृतिक समानता है. इस लिहाजा ओड़िशा के बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाया जाना कई मायनों में खास है. 


योद्धाओं के परिवार से हैं बिस्वा भूषण हरिचंदन


बिस्वा भूषण हरिचंदन का जन्म एक साहित्यकार नाटककार स्वतंत्रता सेनानी के घर में 3 अगस्त 1934 में हुआ है. पिता परशुराम हरिचंदन ओड़िशा के बड़े साहित्यकार है. बिस्वा भूषण का जन्म ओड़िशा के खोरधा जिले में हुआ है. बिस्वा की पढ़ाई एससीएस कॉलेज पूरी से अर्थशास्त्र में ओनर्स की डिग्री, एमएस लॉ कॉलेज कटक से एलएलबी की डिग्री बिस्वा ने ली है. इसके बाद बिस्वा ने 1962 में उच्च न्यायालय बार और 1971 में भारतीय जनसंघ में शामिल हुए है. कड़ी मेहनत के बल पर एक और एक राजनीतिक नेता के रूप में अब ओड़िशा के साथ देश में मंझे हुए राजनेता हैं.


बिस्वा का राजनीतिक करियर क्या है?


आपको बता दें कि बिस्वा भूषण हरिचंदन ने ऐतिहासिक जेपी आंदोलन में शामिल हुए थे. इसके लिए उन्हें एमरजेंसी के दौरान कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा था. उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन एक्शन कमेटी के अध्यक्ष के रूप में 1974 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीशों के अधिक्रमण के खिलाफ ओडिशा में वकीलों के आंदोलन का उन्होंने नेतृत्व किया. इसके बाद बिस्वा भूषण राजनीति से जुड़ गए. उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो अबतक बिस्वा ओडिशा में 5 बार विधानसभा के चुने जा चुके हैं. 1977, 1990, 1996, 2000 और 2004 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है.


ओड़िशा में बीजेपी के फाउंडर हैं हरिचंदन


इसके अलावा हरिचंदन ने अपने काबिलियत के दाम पर ओड़िशा सरकार में 4 बार मंत्री पद पर बने रहे. हरिचंदन के पास राजस्व, कानून, ग्रामीण विकास , उद्योग, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, श्रम और रोजगार, आवास, सांस्कृतिक, मत्स्य पालन और पशु विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में हरिचंदन ने जिम्मेदारी संभाली है. बिस्वा भूषण हरिचंदन 1980 में ओड़िशा राज्य के बीजेपी के संस्थापक थे. इसके बाद 1988 तक तीन और कार्यकाल के लिए उन्हें अध्यक्ष चुना गया था. इसके अलावा 13 साल तक यानी 1996 से 2009 तक ओड़िशा विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता भी रहे है.