छत्तीसगढ़ में झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच कर रहे आयोग में नए अध्यक्ष समेत दो सदस्यों की नियुक्ति के बाद बीजेपी हमलावर हो गई है. बीजेपी ने बघेल सरकार से सवाल किया है कि कांग्रेस सरकार जांच रिपोर्ट से क्यों घबराई हुई है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने एक बयान में कहा है कि झीरम मामले में राज्यपाल अनुसुइया उईके को जांच प्रतिवेदन सौंपे जाने के बाद कांग्रेस और प्रदेश सरकार की बौखलाहट और एक नए जांच आयोग के गठन की घोषणा से यह साफ हो गया है कि प्रदेश सरकार इसे लेकर विचलित है.
उन्होंने कहा, "जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार के बजाए यदि राज्यपाल को सौंपी है तो प्रदेश सरकार इतना बिफर क्यों रही है." उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम मामले के सबूत जेब में रखने की बात कही थी, लेकिन जरूरत पड़ने पर उन्होंने सबूत पेश नहीं किया. साय ने दावा किया कि किसी भी हत्याकांड या अनहोनी की जांच करते समय पुलिस सबसे पहले यह पता लगाती है कि इससे सर्वाधिक लाभ किसे होना है. उन्होंने कहा कि अब प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री बघेल को यह साफ करते हुए प्रदेश को बताना चाहिए कि झीरम हत्याकांड का सर्वाधिक लाभ किस राजनीतिक नेता को होना था.
"असंवैधानिक काम कर रहे हैं सीएम"
उन्होंने कहा है कि इस मुद्दे पर अकारण विवाद खड़ा करके और नए आयोग के गठन की बात कहकर मुख्यमंत्री बघेल इस जांच रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखे जाने से रोकने का असंवैधानिक कृत्य कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने झीरम घाटी नक्सली हमला मामले की जांच के लिए गठित अयोग में नए अध्यक्ष समेत दो नए सदस्यों की नियुक्ति की है. आयोग छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट राज्य शासन को सौंपेगा. राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर झीरम घाटी नक्सली हमले की जांच कर रहे आयोग में दो नए सदस्य छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति सतीश के अग्निहोत्री और न्यायमूर्ति जी मिन्हाजुद्धीन की नियुक्ति की है. न्यायमूर्ति अग्निहोत्री इस आयोग के अध्यक्ष होंगे.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र की झीरम घाटी में 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर दिया था. इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा और पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी. झीरम घाटी नक्सली हमले के बाद बीजेपी की सरकार ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था. आयोग ने इस महीने की छह तारीख को जांच रिपोर्ट राज्यपाल अनुसुईया उइके को सौंप दिया था. न्यायाधीश मिश्रा वर्तमान में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं. जांच आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने को लेकर राज्य सरकार ने इस पर असंतोष जताते हुए इसे स्थापित परंपरा के विपरीत बताया था.
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