Chhattisgarh Lok Sabha Elections 2024: बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है. जिसमें पार्टी ने तीन महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है. कोरबा संसदीय सीट से सरोज पांडे (Saroj Pandey), महासमुंद लोकसभा सीट से रूप कुमारी चौधरी (RupKumari Chaudhary) और जांजगीर चांपा से कमलेश जांगड़े (Kamlesh Jangre) को महिला प्रत्याशी के रूप में प्रत्याशी बनाया है..


वहीं बीजेपी की इस सूची में तीन पूर्व सरपंचों को भी लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया है. इसमें जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से पूर्व सरपंच रही कमलेश जांगड़े, बस्तर लोकसभा से महेश कश्यप और बिलासपुर लोकसभा से तोखन साहू सरपंच रह चुके हैं. बीजेपी की सूची में नए नेताओं को भी मौका दिया गया है. जिसमें रायगढ़ से राधेश्याम राठिया प्रमुख हैं. राठिया जिला पंचायत सदस्य हैं.


बृजमोहन अग्रवाल सबसे वरिष्ठ प्रत्याशी


रायपुर लोकसभा सीट से स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतर गया है. वह बीजेपी कोर ग्रुप के सदस्य हैं. इसके साथ ही 1990 में मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं. छत्तीसगढ़ में रमन सरकार में वह 15 साल मंत्री थे. इसके बाद विष्णु देव सरकार में भी बृजमोहन को मंत्री पद दिया गया है.


कोरबा लोकसभा सीट से बीजेपी ने सरोज पांडे को उम्मीदवार बनाया है. सरोज का स्थानीय नेताओं ने विरोध किया था. इस विरोध को दरकिनार करते हुए केंद्रीय संगठन ने सरोज पर भरोसा जताया है. सरोज के कोरबा से चुनाव लड़ने की चर्चा करीब 6 महीने पहले ही शुरू हो गई थी. सरोज ने राज्यसभा सदस्य रहते हुए अपनी सांसद निधि का सबसे ज्यादा खर्च कोरबा जिले में ही किया है.


तीन सामान्य, तीन ओबीसी को टिकट


बीजेपी ने टिकट में जाति का समीकरण को साधने की कोशिश की है. सामान्य वर्ग से तीन उम्मीदवार और ओबीसी वर्ग से तीन उम्मीदवार उतारे गए हैं. वहीं एसटी के लिए चार और एससी के लिए एक सीट आरक्षित है. जाति का समीकरण को देखें तो ओबीसी वर्ग से एक तेली और दो कर्मी को चुनाव मैदान में उतर गया है. वहीं सामान्य वर्ग से दो ब्राह्मण और एक अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया गया है. 


सुनील सोनी की टिकट कटी


विधानसभा चुनाव में रायपुर जिले की सभी सात सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी. इसके बावजूद रायपुर सांसद सुनील सोनी अपनी टिकट नहीं बचा पाए. कांकेर सांसद मोहन मंडावी के कमजोर परफॉर्मेंस और विधानसभा चुनाव में कांकेर क्षेत्र में बीजेपी को मिली हार के कारण उनका टिकट काटा गया. महासमुंद और जांजगीर-चांपा में भी कमजोर परफॉर्मेंस ही टिकट काटने का आधार बना. क्योंकि विधानसभा चुनाव में जांजगीर चांपा संसदीय क्षेत्र की सभी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते थे.


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