Chhattisgarh News: साल 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल से सत्तासीन बीजेपी को बड़े अंतर से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में बीजेपी के बड़े-बड़े मंत्री धराशायी हो गए और कांग्रेस ने प्रदेश की 90 सीटों में से 65 प्लस सीटों पर जीत दर्ज कर भूपेश बघेल की अगुवाई में सरकार बनाई थी. उस दौरान सरगुजिहा सरकार की जमकर हवा उड़ाई गई थी. मतलब सरगुजा संभाग से ही कोई मुख्यमंत्री बनेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दुर्ग जिले के पाटन से विधायक भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया गया. 


कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, चरण दास महंत सीएम की रेस में थे. हालांकि, सीएम के लिए कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने भूपेश बघेल के नाम पर मुहर लगाया और सरगुजिहा सरकार का सपना अधूरा रह गया. सरगुजा अंचल के लोगों को उम्मीदें थी कि टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल का नाम फाइनल होने के बाद सरगुजा वासियों में मायूसी छा गई. टीएस सिंहदेव के मुख्यमंत्री नहीं बनने पर लोगों ने अपना दुख सोशल मीडिया पर जाहिर किया. हालांकि, विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी ने सरगुजिहा सरकार के सपने को साकार कर दिया और बड़ा दांव खेलते हुए सरगुजा संभाग के जशपुर जिले के कुनकुरी विधायक, पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बना दिया.


विष्णु देव साय के मुख्यमंत्री बनते ही समूचे सरगुजा अंचल में खुशी की लहर दौड़ गई. छत्तीसगढ़ का पहला आदिवासी मुख्यमंत्री बनने का गौरव विष्णु देव साय के नाम दर्ज हो गया और सरगुजिहा सरकार की मांग भी पूरी हो गई. इस बार के चुनाव में बीजेपी केंद्रीय समिति ने अपने फैसलों से सबको चौंकाया. पहले तो सरप्राइज सीएम के रूप में विष्णु देव साय के नाम पर मुहर लगी, उससे पहले चर्चा यह थी कि प्रदेश में महिला मुख्यमंत्री होगी, रेणुका सिंह को सीएम बनाया जाएगा, हालांकि ऐसा नहीं है. इसके बाद शुकवार को 9 मंत्रियों ने पद की शपथ ली. इसमें भी कई चीजें सरप्राइस की तरह रही. 


माना जा रहा था कि ज्यादातर पूर्व मंत्रियों को विष्णु देव साय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पुराने मंत्रियों में सिर्फ रामविचार नेताम, बृजमोहन अग्रवाल और केदार कश्यप का नाम है. इसके बाद 6 नए चेहरों को मंत्री बनाया गया है. इसमें सरगुजा संभाग से 3 मंत्री है. कुल मिलाकर बीजेपी ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरगुजा क्षेत्र को पूरी तरह साध लिया है. एक मुख्यमंत्री और तीन मंत्री सरगुजा से चयन कर बीजेपी लोकसभा चुनाव में दमदारी के साथ उतरेगी.


सरगुजा की सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा
बता दें कि, उत्तरी इलाके सरगुजा को प्रदेश की राजनीति की उपराजधानी कहा जाता है. यहां की 14 सीटें भी सरकार तय करने में अहम भूमिका निभाती है. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर कब्जा जमाया था. विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी ने कांग्रेस से 14 की 14 सीटें वापस छीन ली. वर्तमान में सरगुजा संभाग की सभी 14 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के विधायक है. तीन विधायकों को मंत्री बना दिया गया है. बीजेपी की रणनीति के तहत इस बार बीजेपी शासित राज्य सरकार ही लोकसभा चुनाव में मेहनत ज्यादा करेंगी और लोकसभा की सीटें जीतकर देंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि कई बड़े मंचों से बीजेपी के नेता कह चुके है कि अभी बड़ा काम बाकी है. मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान भी कह चुके है कि इस बार लोकसभा की सभी सीटें बीजेपी की झोली में डालनी है.


सीएम साय किसानों को दे रहे प्राथमिकता 
इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी रणनीति बनाकर काम कर रही है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय प्रदेश में 18 लाख पीएम आवास को लेकर गंभीर है और इस काम को पूरा करने के लिए अफसरों को लगातार निर्देश भी दे रहे हैं. साथ ही 25 दिसंबर को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय दो साल के धान का बोनस किसानों के खाते में ट्रांसफर करेंगे. वहीं समर्थन मूल्य पर 3100 रुपए क्विंटल मे धान खरीदी को लेकर आदेश जारी कर दिया है. सरकार बनने के साथ ही सीएम विष्णु देव किसानों को प्राथमिकता पर रख रहे हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में किसान बीजेपी के लिए बड़ा फैक्टर साबित हो सकते है.


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