Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ की राजनीति में शराबबंदी (liquor ban) एक बड़ा मुद्दा रहा है. हमेशा से बीजेपी (BJP) शराबबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरती आई है. 2018 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2023 के में होने वाले विधानसभा चुनाव तक शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा है. इसी बीच आज (13 जुलाई) रायपुर में शराबबंदी की मांग को लेकर भाजपा महिला मोर्चा (BJP Women Wings) ने विरोध प्रदर्शन किया है. भाजपा महिला मोर्चा ने प्रदेश में शराबबंदी की मांग को लेकर रायपुर के शंकर नगर स्थित भारत माता चौक में प्रदर्शन किया है. प्रदर्शन के दौरान महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झूमा झपटी भी हुई है.


बीजेपी महिला मोर्चा का शराबबंदी के खिलाफ धरना
छत्तीसगढ़ से बीजेपी महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष मीनल चौबे ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि, 'प्रदेश की बेईमान, भ्रष्ट सरकार को बदलने के लिए आज महिला मोर्चा की बहनों ने यह प्रदर्शन किया है. जो सरकार, संगठन गंगा जल की झूठी कसम खा सकता है उसका कोई भरोसा नहीं है. शराब के कारण अनाचार की घटनाएं हो रही हैं. सरकार के पास करने के लिए कुछ नहीं है. इस सरकार को जड़ से उखाड़ कर फेंकने की हमारी रणनीति है.' आपको बता दे कि, प्रदर्शन के दौरान महिला मोर्चा की कार्यकर्ता और पुलिस के बीच खूब झूमा. झपटी भी हुई.


वन मंत्री मोहम्मद अकबर के बयान पर भड़की महिला मोर्चा की कार्यकर्ता
महिला मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर के बंगले के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया है. रायपुर के भारत माता चौक के पास आज दोपहर बड़ी संख्या में महिला मोर्चा की कार्यकर्ता मिट्टी का मटका लेकर पहुंचीं. यहां से मंत्री के बंगले की तरफ आगे बढ़े लेकिन पुलिस ने महिला मोर्चा बीच सड़क में ही रोक दिया. कुछ दिन पहले वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा था कि, 'शराबबंदी के लिए हमने गंगाजल की कसम नहीं खाई है हमने कर्ज माफी की खाई थी.' इस कथन का विरोध विरोध जताते हुए महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष शालिनी राजपूत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के खिलाफ आज प्रदर्शन किया गया है.


छत्तीसगढ़ में शराबबंदी आसान नहीं!
गौरतलब है कि 2018 विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने आधी आबादी को शराबबंदी करने का वादा किया और अपने घोषणा पत्र भी इस मुद्दे को शामिल किया था. लेकिन सरकार बनने के साढ़े 4 साल बाद भी शराबबंदी नहीं हुई है. हालांकि कांग्रेस सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो लगातार जिन राज्यों में शराबबंदी हुई है. वहां जाकर उनकी नीति समझ रहे है. लेकिन अब माना जा रहा है कि अब शराबबंदी का बड़ा फैसला आसान नहीं है. इसका असर भी चुनाव में पड़ने की संभावना है.


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