Bore Basi Diwas In Chhattisgarh: आज पूरे देश मे अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस मनाया जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)  को बोरे बासी (Bore Basi Diwas) तिहार के तौर पर मनाया जा रहा है. बोरे बासी खाने से कई रोग भी दूर होते हैं. यही नहीं डॉक्टर भी लोगों को बोरे बासी खाने की सलाह देते हैं. अब तक डॉक्टरों की सलाह पर 18 हजार मरीज बोरे बासी खाकर ठीक हुए हैं.


एक तरफ मेडिकल साइंस नए आधुनिक उपकरणों से बीमारियों का इलाज करने में सफलता हासिल कर रही है. वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के प्रिय और पारम्परिक आहार बोरे बासी से भी कई रोगों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है. यह छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का ही प्रभाव है कि अब डॉक्टर भी प्रिस्क्रिप्शन में बोरे बासी रिकमेंड करते हैं. जिला मुख्यालय महासमुंद से लगभग 40 किलोमीटर दूर पटेवा के पास गांव रायतुम में एक ऐसा नेचर क्योर सेंटर है. यहां भी डॉक्टर  मरीज के डाइट में बोरे बासी को अनिवार्य और मुख्य आहार के रूप में शामिल करते हैं.


बोरे बासी में होता है विटामिन बी 12
यहां के डॉक्टरों का मानना है कि बोरे बासी में भरपूर विटामिन बी 12, कैल्शियम और पोटेशियम समेत अनेक पौष्टिक गुणों के साथ हृदय रोग, स्किन रोग और डायरिया समेत अनेक रोगों से लड़ने की क्षमता है. पहले यह सामान्य समझ थी कि बोरे बासी सिर्फ राज्य के मजदूर और किसानों का प्रिय आहार है. लेकिन अब छत्तीसगढ़ के बोरे बासी को देश के साथ विदेशी लोग भी बड़े चाव से खा रहे हैं. दरअसल में बोरे बासी छत्तीसगढ़ की संस्कृति और आहार का अभिन्न हिस्सा रहा है. यहां के मजदूर और किसान गर्मी के दिनों में बोरे बासी खाकर ही काम पर निकलते थे. पिछले साल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रमवीरों के सम्मान में स्वयं बोरे बासी खाया था. इस साल भी उन्होंने 1 मई श्रमिक दिवस को बोरे बासी तिहार के रूप में मनाने अपील की है.


रायतुम गांव में साल 2018 से फाइव लोटस इंडो जर्मन नैचर क्योर सेंटर संचालित है. यहां अन्य डाइट के साथ बोरे बासी इलाज का मुख्य माध्यम है.यहां की चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर रंजीता ने बताया कि बोरे बासी के चावल में आर्सेनिक की मात्रा को कम करने की अद्भुत क्षमता है. इसके अलावा यह शरीर में आयरन की कमी को दूर करता है. पेट को ठंडक पहुंचाता है.  गर्मी में लू लगने से बचाता है. यहां तक कि यह पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है. 


जानिए बोरे बासी खाने के फायदे
डॉक्टर रंजीता ने बताया कि सप्ताह में यदि तीन बार भी बोरे बासी खाया जाए, तो इससे मेमोरी पावर गेन होती है और एकाग्रता बढ़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि बोरे बासी के सेवन से माउथ अल्सर के उपचार में भी मदद मिलती है. शिशुवती माताओं के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है. बोरे बासी खाने से मां का दूध भी पर्याप्त मात्रा में बनता है. उन्होंने कहा कि यहां  भर्ती मरीजों को बोरे बासी में अदरक,दही , हरी मिर्च, सेंधा नमक,काला नमक, प्याज मिलाकर और राई के छौंक लगाकर दिया जाता है. इससे इसका स्वाद भी बढ़ता है. साथ ही  ये मरीजों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है.


सेंटर में बोरे बासी बनाने वाले सैफ राज किशोर ने बताया कि पहले चावल को पकाते हैं. फिर पके हुए चावल में से आधा पसिया को निकाल देते हैं. फिर उसे ढककर किसी गर्म जगह पर रात भर के लिए रखते हैं. सुबह इसे टमाटर चटनी (सिलबट्टा), लाल भाजी, पालक, चौलाई भाजी और ककड़ी के साथ खाते हैं. यह स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. साथ ही इससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि बोरे बासी खाने से चाय कॉफी और यहां तक शराब की लत भी धीरे-धीरे छूट जाती है.


अब तक 18000 मरीज बोरे बासी खाकर हुए ठीक
यहां स्वास्थ लाभ लेने पहुंची अंबिकापुर की स्वेच्छा सिंह ने बताया कि जब से वे यहां आई है तब से उन्हें अन्य डाइट के साथ बोरे बासी दिया गया. इससे उन्हें वास्तव में स्वाथ्य लाभ मिला है. तनाव दूर हुआ है और मानसिक एकाग्रता बढ़ी है. सेंटर के संचालक राजेश सिंह ने बताया कि इस सेंटर की स्थापना  वर्ष 2018 में हुई थी और यहां 100 बेड की सुविधा है. यहां देश भर के अलावा अन्य देश के लोग भी विभिन्न रोगों का इलाज कराने पहुंचते हैं.यहां अभी तक लगभग 18 हजार लोगों का बोरे बासी खिलाकर सफलता पूर्वक इलाज किया गया है.


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