Bundi News: भले ही विज्ञान कितनी तरक्की कर ले, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास आज भी बरकरार है. बूंदी जिले के सरकारी अस्पताल में एक बार फिर अंधविश्वास का खेल देखने को मिला. 38 साल पहले अस्पताल में हुई बुजुर्ग की मौत के बाद अब परिजन आत्मा लेने पहुंच गए. तंत्र मन्त्र के साथ अंधविश्वास का खेल चला और आत्मा को ढोल नगाड़ों के साथ परिजन लेकर चले गए. बूंदी अस्पताल में आये दिन आत्मा लेने के लिए जुगत चलते रहते हैं. लेकिन डिजिटल इंडिया के दौर में ऐसी घटनाएं सामने आना चिंता का विषय है. ग्रामीण इलाके के लोग आज भी अंधविश्वास की जकड़ में फंसे हुए हैं या यूं कहें अंधविश्वास में अंधे हो चुके हैं. परिजनों की माने तो बुजुर्ग की आत्मा उसके सदस्यों को परेशान कर रही थी. उन्होंने बताया कि अनुष्ठान करवाकर आत्मा को शांत कर रहे हैं और घर पर चबूतरा बना देने से आत्मा नहीं भटकेगी.


जानकारी के अनुसार 1984 में यानी 38 साल पहले जजावर निवासी कजोड़ पुत्र छीतर लाल की मौत हो गयी थी. परिजनों ने बताया कि मारपीट के चलते कजोड़ को बूंदी अस्पताल में भर्ती करवाया गया. इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गयी. पिछले कई दिनों से घर में परेशानी होने की जानकारी परिवार ने भोपा पंडित को दी. पंडित ने 38 साल पहले हुई कजोड़ की आत्मा होना बताया. परेशान से बचने और सुख चैन की प्राप्ति के लिए पंडित ने मौत वाली जगह से आत्मा लेने को कहा. परिवार और ग्रामीण ढोल नगाड़ों के साथ अस्पताल पहुंचे. अस्पताल परिसर में उन्होंने जोत जलाई और भोपे ने तंत्र मंत्र शुरू किया. कुछ देर बार परिवार के सदस्यों के शरीर में आत्मा का खेल शुरू हो गया. महिला जोर जोर से चिल्नाने लगी. दृश्य देखकर मरीजों और तीमारदारों में भय का माहौल पैदा हो गया. घंटों चले अंधविश्वास के बाद परिजन आत्मा को लेकर चले गए. अंधविश्वास का खेल आउटडोर के मेन गेट के बाहर चला. 


अस्पताल परिसर में घंटों अंधविश्वास का खेल


ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास आज भी बरकरार है. लोग आंख मूंद कर भरोसा करते हैं और अमलीजामा पहनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. जिले के ग्रामीण इलाकों से हर माह ढोल बाजे के साथ महिलाएं-पुरुष अस्पताल में आत्मा को मनाने पहुंचते हैं. घंटों पूजा पाठ कर आत्मा को मनाने का कार्यक्रम चलता रहता है. भाव आने की घटना, झाड़ू-फूंक देखकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं. सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो जाती है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की अंधविश्वास के खेल को रोकने की हिम्मत नहीं होती.


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प्रशासन-पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई 


दृश्य को देख बिलकुल नहीं लग रहा था कि इक्कीसवीं सदी का राजस्थान है. सरेआम अंधविश्वास का खेल चलता रहा और आत्मा को लेने का जुगत तांत्रिक करता रहा. लेकिन न तो प्रशासन ने ना पुलिस ने रोकने की हिम्मत की. तांत्रिक के कहने पर ग्रामीण ऐसे कामों को अंजाम देते हैं. मामले में अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि हमें जब जानकारी लगी जब तक ग्रामीण जा चुके थे.अस्पताल चौकी प्रभारी वंदना शर्मा का कहना है कि हम ड्यूटी के दौरान अस्पताल की दूसरी साइड पर थे. अगर ऐसे कोई आता है तो अस्पताल प्रशासन हमें सूचित करे ताकि हम मौके से हटा सकें. 


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