Bilaspur Latest News: छत्तीसगढ़ में सरकारी नियुक्ति को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट ने बड़ा निर्णय लिया है. कोर्ट की ओर से 58 फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया गया है. कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है. इस मामले में अब राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने पूर्व की बीजेपी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. दूसरी तरफ पूर्व सीएम रमन सिंह ने भी इस मामले पलटवार किया है.
सरकारी नियुक्ति के लिए 58 फीसदी आरक्षण रद्द
दरअसल आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट में जस्टिस गोस्वामी और जस्टिस पी साहू ने ये फैसला सुनाया है. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में 58 फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया है. ये मामला 2011 में सरकारी नियुक्ति सहित अन्य दाखिला परीक्षा में आरक्षण से जुड़ा है. इस मामले में आज हाई कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण के असंवैधानिक बताते हुए आरक्षण को रद्द कर दिया. बता दें कि 2011 में राज्य सरकार ने आरक्षण फीसदी बढ़ाया था, जिसे लेकर 2012 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. अब इस मामले में फैसला आया है जिसके अनुसार अब सरकारी नियुक्ति सहित अन्य दाखिला परीक्षा में 50 फीसदी आरक्षण के अनुसार ही नियुक्तियों में इसका बड़ा असर दिखेगा.
कांग्रेस ने कहा- बीजेपी सरकार इसके लिए जिम्मेदार
कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता आरपी सिंह ने आरक्षण को रद्द होने के लिए तत्कालीन राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि उस वक्त की रमन सरकार ने आरक्षण को घटाने और बढ़ाने को लेकर किसी भी तरह की नियमानुसार कार्यवाही नहीं की.
सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों जिसमें इंदिरा साहनी का फैसला प्रमुख के अनुसार कोई भी राज्य सरकार यदि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण करती है तो अत्यंत विशेष परिस्थितियों, विचार एवं तथ्यों के साथ कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करना होगा. इसका भी ख्याल नहीं किया गया.कांग्रेस नेता आरपी सिंह ने बीजेपी के निर्णयों पर तंज कसते हुए कहा कि आरक्षण का पूरा प्रकरण शुरू से ही अपाहिज बच्चे की तरह तत्कालीन राज्य सरकार ने खड़ा किया, जिसके ना तो हाथ थे और ना ही पैर.
रमन सिंह ने कांग्रेस पर किया पलटवार
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इसके लिए कांग्रेस सरकार की विफलता कहा है. उन्होंने रायपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने कोर्ट में मजबूती से पक्ष नहीं रखा. बीजेपी की स्पष्ट सोच और मान्यता रही है कि आरक्षण 32, 12 और 14 का हमने फैसला लिया था.इसपर हम जबतक हमारी सरकार रही मजबूती से कायम भी रहे. वर्तमान सरकार ने पूरे मामले को गंभीरता से नहीं लिया है. जितना इस मामले को लिया जाना था. आज आरक्षण फिर कम हो चुका है.
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