International Tea Day 2022: देश के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंच रही जशपुर की चाय की खुशबू, बागान से मिल रहा रोजगार
International Tea Day 2022: जशपुर का सोगड़ा और सारूडीह चाय की खुशबू से महक रहा है. का उत्पादन हो रहा है. सारूडीह में स्व सहायता समूह के 18 महिला पुरुष चाय का उत्पादन और पैकेजिंग कर रहे हैं.
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International Tea Day 2022: जशपुर के सोगड़ा और सारूडीह में चाय का उत्पादन हो रहा है. सोगडा में सर्वेश्वरी समूह की तरफ से और सारूडीह के 20 एकड़ में शासकीय चाय बगान में उत्तम क्वालिटी की चाय का उत्पादन हो रहा है. दोनों जगहों पर ग्रीन टी और सीटीसी चाय का उत्पादन हो रहा है. सारूडीह में स्व सहायता समूह के 18 महिला पुरुष चाय का उत्पादन और पैकेजिंग करते हैं. खास बात है कि उत्पादन होने वाली ग्रीन टी और सीटीसी चाय में किसी प्रकार का कोई केमिकल नहीं मिलाया जाता है. यही कारण है जशपुर की चाय अन्य राज्यों की तुलना में काफी अच्छी बताई जा रही है.
दूसरे राज्यों में हो रही सप्लाई
जशपुर के सारूडीह में उत्पादन होने वाली चाय छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य कई राज्यों में भी सप्लाई की जा रही है. ये चाय सारूडीह के नाम से बाजारों में बिक रही है. ग्रीन टी 4 हजार रुपए और सीटीसी चाय 400 से 600 रुपए तक में बिकने से स्थानीय किसानों को रोजगार मिल रहा है. चाय बागान से जिले की एक विशेष पहचान स्थापित हो रही है. यही नहीं चाय बगान को देखने दूर दूर से पर्यटक जशपुर पहुंच रहे है.
कैसे शुरू हुई चाय की खेती
जशपुर के सोगड़ा आश्रम में सबसे पहले चाय की खेती शुरू हुई. आश्रम से संत गुरुपद संभव राम ने जशपुर के वातावरण को देखते हुए चाय की खेती की योजना बनाई और टी एक्सपर्ट आईडी सिंह को जशपुर बुलाया. परीक्षण के बाद टी एक्सपर्ट ने पाया कि यहां मिट्टी और जलवायु दोनों चाय की खेती के अनुकूल हैं. सोगड़ा आश्रम में सबसे पहले 5 एकड़ में चाय की खेती शुरू हुईं और चाय का सफल उत्पादन भी किया जाने लगा.
4 प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना
अब सारूडीह चाय बागान में पत्तियों के ज्यादा उत्पादन को देखते हुए जिला प्रशासन ने चाय प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना कर दी है. जशपुर जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर बालाछापर में ऑटोमैटिक चाय प्रोसेसिंग यूनिट से रोजाना भारी मात्रा में चाय का उत्पादन हो रहा है. जशपुर की चाय छत्तीसगढ़ के अलावा राजस्थान और दिल्ली तक भेजी जा रही है.
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