छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के 9 पर्वतारोहियों ने कमाल कर दिया है. शारीरिक रूप से अपूर्ण होने के बावजूद ये लोग 5,364 मीटर की चढ़ाई कर एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचे है. इनका परिचय कराना अहम है क्योंकि इन पर्वतारोहियों ने अपने हौसले को कमजोर नहीं होने दिया है. इसमें एक 14 साल की बच्ची भी शामिल जिसका बचपन से ही एक पैर नहीं है. उसने भी अपने बुलंद हौसले से मंजिल फतह किया है.
एक ट्रांसजेंडर भी शामिल
दरअसल 9 पर्वतारोहियों ने 10 दिन में नेपाल एवरेस्ट बेस कैंप की ट्रैकिंग पूरी की है. 5,364 मीटर की ऊंचाई राष्ट्रगीत गाया गया और भारत माता की जय के जयकारे लगाए गए. इस टीम में एक ट्रांसजेंडर भी शामिल है. ट्रेन हादसे में पैर गवाने वाले चित्रसेन साहू के नेतृत्व में इस टीम ने 23 अप्रैल को ट्रेकिंग की शुरुआत की थी और 3 मई को एवरेस्ट बेस कैंप पर पहुंचे.
बैसाखी की सहायता से
इस टीम की सबसे छोटी सदस्य चंचल सोनी के हौसले की जमकर तारीफ हो रही है. चंचल का बचपन से ही एक पैर नहीं है. ऐसे में चंचल सोनी ने 5 हजार मीटर से अधिक ऊंचाई का सफर बैसाखी की सहायता से पूरी की है. चंचल 12 वर्ष की उम्र से ही व्हीलचेयर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही है. ट्रैकिंग के लिए एक साल से प्रैक्टिस कर रही हैं. रोज 10 से 12 किलोमीटर तक पैदल चलती थी. बता दें की चंचल एक पैर से डांस भी करती है.
किसी से कम या अलग नहीं
टीम के लीडर पर्वतारोही चित्रसेन साहू ने बताया कि उन्होंने हमेशा से ही अपने लोगों के हक के लिए काम किया है ताकि उन लोगों के साथ भेदभाव ना हो. शरीर के किसी अंग का ना होना कोई शर्म की बात नहीं है, ना ये हमारी सफलता के आड़े आता है. बस जरूरत है तो अपने अंदर की झिझक को खत्म कर आगे आने की. हम किसी से कम नहीं, ना ही हम अलग हैं, तो बर्ताव में फर्क क्यों करना. हमें दया की नहीं आप सबके साथ एक समान जिन्दगी जीने का हक चाहिए.
इन लोगों ने की पूरी की ट्रेकिंग
टीम लीडर चित्रसेन साहू की देश में अलग पहचान है. इन्होंने माउंट किलिमंनजारो, एलब्रुस और कोस्सियस्को फतह किया है. रजनी जोशी ने लो विजन की विकलांगता होते हुए भी सफलतापूर्वक चढ़ाई पूरी की है. अनवर अली ब्लड डोनर हैं और उन्होंने 60 से अधिक बार ब्लड डोनेट किया है. इनका एक पैर दुर्घटना के कारण कट गया था. अब कृत्रिम पैर से ट्रैकिंग करते है.
पहली ट्रांसजेंडर पर्वतारोही
इसके अलावा ट्रांसजेंडर निक्की बजाज ने ट्रैकिंग की है. वे छत्तीसगढ़ की पहली ट्रांसजेंडर पर्वतारोही बन गई हैं जिसने एवरेस्ट बेस कैंप फतह किया हो. अन्य सदस्यों की बात करें तो ट्रैवलर राघवेंद्र चंद्राकर, साइक्लिस्ट आशुतोष पांडेय, माउंटेन फोटोग्राफर पेमेंन्द्र चंद्राकर और फिल्म मेकर गुंजन सिन्हा ने भी कठिन चढ़ाई पूरी की है.
सरकार से मिली सहायता
गौरतलब है कि ट्रैकिंग के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्वतारोहियों की मदद की है. पर्वतारोहियों ने बताया कि, समाज कल्याण विभाग की तरफ से सहयोग किया जा रहा है. इस मिशन के लिए मंत्री अनिला भेंडिया और कलेक्टर जनमेजय महोबे ने सहायता की है.