Mungeli News: छत्तीसगढ़ के मुंगेली में रहने वाले प्रेम आर्य ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे गोधन न्याय योजना के तहत गोबर बेचकर अब तक 18 लाख रुपए कमा चुके हैं. प्रेम आर्य पेशे से डेयरी का काम करते हैं. डेयरी से जो गोबर निकलता है उसे सरकार को ₹2 किलो में बेचकर अब तक वे 18 लाख रुपए कमा चुके हैं.


गोबर बेचकर कमाए 18 लाख रुपये


मुंगेली के रहने वाले डेयरी संचालक प्रेम आर्य ने बताया कि उन्होंने 2016 में 8 गायों के साथ डेयरी की शुरुआत की थी. उसके बाद फिर उन्होंने और 7 गाय खरीदी और वे डेरी का संचालन कर रहे थे. एक वक्त ऐसा आया कि वह डेरी संचालन करने में उनकी कमाई नहीं हो पा रही थी. डेरी व्यवसाय में उनको नुकसान हो रहा था. छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जब गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी की शुरुआत हुई तो उन्होंने इस योजना का भरपूर लाभ उठाया.


वे जिस डेयरी को बंद करना चाह रहे थे उसे फिर से शुरू की. सरकार द्वारा चलाए जा रहे गोधन न्याय योजना के तहत गोबर बेच-बेच कर उन्होंने अब तक 18 लाख रुपए की कमाई की है. इस योजना से उनको इतना लाभ मिला कि अब उनके पास 110 गायें है. अब वे ट्रैक्टर ट्राली से गोबर भरकर सरकार को बेच रहे हैं.


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14 कर्मचारी करते हैं काम


प्रेम आर्य ने बताया कि इन गायों का गोबर साफ करने और डेयरी को मेंटेन रखने के लिए उनके पास 14 कर्मचारी हैं. हर दिन सवा चार क्विंटल चारा लगता है. 10 बोरी दाना रायपुर से मंगवाते हैं. एक डॉक्टर भी तय है. मवेशियों के लिए हर महीने 20 से 25 हजार की दवाएं भी आती हैं.


400 से अधिक गाय रखने का का लक्ष्य


प्रेम आर्य बताते हैं कि सरकार की गोधन योजना से उन्हें बहुत लाभ मिला है. वैसे वह गौ सेवक हैं. लेकिन सरकार के द्वारा गोबर खरीदी किए जाने से उन्हें बहुत लाभ मिला है. वे गोबर बेचकर अब अपनी डेयरी को और बड़ा बना चुके हैं. अब उनका लक्ष्य है कि 2024 तक उनके डेयरी में 400 से अधिक गाय रहे. वे इस व्यवसाय को और आगे ले जाना चाहते हैं. गोबर बेचकर प्रेम आर्य को महीने का इनकम सबकुछ काटकर 30 से 35 हजार बच जाता है.


ये है गोधन न्याय योजना


छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आवरा मवेशी जिनसे दूध न मिलने पर पशुपालक उन्हें छोड़ दिया करते थे. उनकी समस्या से निपटने की शुरुआत की. गांवों में गोठान बनाए गए. गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. एस. भारतीदासन के मुताबिक छत्तीसगढ़ में अब तक 10,591 गौठान से स्वीकृत किए गए हैं. जिसमें से 8,048 गोठान संचालित हैं. गोबर बेचने वाले 2.87 लाख ग्रामीण पशुपालक पंजीकृत हैं. इसमें से 2.04 लाख गोबर बेच रहे हैं.


गोठानों में लगभग 62.60 लाख क्विंटल से अधिक गोबर के एवज में 138.56 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. इस गोबर से खाद और कुछ डेकोरेटिव्स बनाए जाते हैं. खाद किसानों को दी जाती है और सजावटी सामान की भी डिमांड है.


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