Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर (Surajpur) में आवारा मवेशियों के कारण शहर के लोग परेशान हो रहे हैं. आए दिन मवेशियों की आपस में लड़ाई और सड़कों पर बैठने और झुंड में सड़कों पर आवाजाही की वजह से रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं. सूरजपुर नगर पालिका क्षेत्र में आवारा मवेशियों व पशुओं की बढ़ती संख्या अब लोगों के लिए जान का खतरा बनने लगा है. मेन रोड ही नहीं बल्कि हर गली, मोहल्ले में आवारा पशुओं का आतंक बढ़ गया है. इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है. सूरजपुर शहर से गुजरने वाले एनएच 43 के साथ केतका रोड व भैयाथान रोड के मुख्य मार्ग पर आवारा गायों के कारण अब लोगों की जान आफत में पड़ गई है. कुछ पशुपालकों ने गाय तो पाल ली है, लेकिन उनका दुध निकालने के बाद उन्हें डंडा मारकर सड़क पर इधर-उधर चरने के लिए छोड़ देते हैं.
आलम यह है कि सड़क और सार्वजनिक स्थानों के साथ चौपाटी व बाजार में इन मवेशियों के कारण कई बार लोगों की जान पर बन आयी है. केतका रोड में लगने वाले अघोषित सब्जी बाजार के साथ नेहरू पार्क व आगे पीपल तक हमेशा आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. झुंड में रहने वाले इन पशुओं से कई बार आने-जाने वाले दोपहिया वाहन सवार व आमजन टकरा कर घायल भी हो चुके हैं. लोगों का कहना है कि, शहर में बढ़ते आवारा पशुओं को पकड़कर गौशाला या जंगल में छोड़ने का काम नगर पालिका परिषद का है, लेकिन निकाय के अधिकारियों की लापरवाही से शहर में आवारा जानवर दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं. आवारा पशुओं के कब्जे से शहर की सड़कें प्रभावित तो हो ही गई हैं, लेकिन अब चालकों व राहगीरों के लिए भी ये खतरनाक साबित होने लगी हैं. शाम के समय में सड़क पर इन मवेशियों का जमावड़ा और बढ़ जाता है.
कांजी हाउस में व्यवस्था पूरी तरह फेल
वैसे तो शहर में कई स्थानों पर कांजी हाउस का निर्माण कराया गया है. इन कांजी हाउसों में आवारा पशुओं को पकड़कर रखने की व्यवस्था बनी हुई है, लेकिन शहर के लगभग सभी कांजी हाउस में व्यवस्था पूरी तरह फेल है. इस मामले में नगर पालिका के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने बताया कि कई बार सड़क पर मुहिम चलाकर आवारा पशुओं की धरपकड़ की गई है. समस्या यह है कि कोई भी गौशाला इन पशुओं को लेने को तैयार नहीं होती है. इसके पहले नगर पालिका के द्वारा फिल्टर प्लांट में कई दिनों तक 100 से ज्यादा पशुओं को रखा गया था, लेकिन चारा-पानी
की व्यवस्थाओं और दिक्कतों के कारण कुछ दिनों के बाद नगर पालिका ने भी पशुओं को छोड़ दिया.