Chhattisgarh Politics: राज्य में ED की रेड के बाद क्यों होने लगी डॉन दाऊद इब्राहिम की चर्चा? जानिए वजह
Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में ईडी की लगातार रेड के बाद राजनीति गरमा गई है. सीएम भूपेश बघेल ने सरकार और कांग्रेस को परेशान करने का आरोप लगाए, तो बीजेपी ने भी पलटवार किया है.
Politics On Mahadev App In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में ऑनलाइन (Mahadev APP) सट्टेबाजी को लेकर ईडी (ED) की कार्रवाई के बाद अब राजनीति तेज हो गई. रायपुर से दिल्ली (Delhi) तक ईडी की रेड पर सियासी बवाल खड़ा हो गया है. कांग्रेस (Congress) बीजेपी (BJP) पर आरोप लगा रही है कि वो चुनावी तैयारी में अड़चन डालने की कोशिश कर रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने तो ये भी कह दिया है कि पाटन विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी की जगह ईडी- आईटी चुनाव लड़ेगी.
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने इसे ऑनलाइन सट्टे के जरिए आतंकी फंडिंग की आशंका जताई और माफिया डॉनदाऊद इब्राहिम के संरक्षण का दावा किया है. इसके अलावा एनआईए (NIA) से जांच कराने की मांग कर दी है. दरअसल, छत्तीसगढ़ में बुधवार को छत्तीसगढ़ में ईडी के छापे के बाद गुरुवार को सियासी पारा चढ़ गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली में जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी और भारत सरकार पर जमकर आरोप लगा दिया. यहां तक की उन्होंने ईडी की निष्पक्षता पर सवाल उठा दिया. वहीं मुख्यमंत्री के सवालों पर छत्तीसगढ़ में बीजेपी के प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी प्रेस कांफ्रेंस कर मामले में नया एंगल ले आए हैं.
बीजेपी का बड़ा दावा
ओपी चौधरी का दावा है कि दुबई में माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम महादेव ऐप का संरक्षण कर रहा है. ओपी चौधरी ने गुरुवार को रायपुर में मीडिया से कहा "ऐसी आशंकाएं जताई जा रही है कि दुबई से संचालित महादेव ऐप को कुख्यात माफिया गिरोह डी-कंपनी का संरक्षण प्राप्त है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आंतकी घोषित माफिया डॉन दाउद के जरिए किस तरह भारत में आंतकियों को फंडिंग की जाती है, यह किसी से छिपा नहीं है. दुबई एक इस्लामिक देश है जहां जुआ, सट्टा आदि चीजों को अवैध घोषित किया गया है. ऐसे में महादेव ऐप के माध्यम से दुबई में बैठकर हजारों करोड़ रुपये का ऑनलाइन सट्टा बिना किसी अंतर्राष्ट्रीय माफिया गिरोह के सहयोग के संभव नहीं है."
1 हजार करोड़ से अधिक पैसा विदेश भेजा गया- BJP
ओपी चौधरी ने आगे कहा कि वर्तमान में महादेव ऐप और इसके सहयोगी रेड्डी अन्ना के 50 लाख यूजर्स अनुमानित है. इन यूजर्स के माध्यम से इस गिरोह के सरगना करीब एक हजार करोड़ से भी अधिक धन विदेश भेज रहे हैं. इस काम में गिरोह तकरीबन 20 हजार कॉर्पोरेट, करंट, सेविंग बैंक खातों और तकरीबन 250 से ज्यादा शैल कंपनियों का इस्तेमाल करते आ रहा है. भूपेश बघेल ने इतने बड़े पैमाने पर हो रही इस लूट पर समय रहते एक्शन क्यों नहीं लिया. अगर उनमें जरा भी नैतिकता है, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए.
बीजेपी का आरोप- राज्य सरकार ने कार्रवाई का दिखावा किया
ओपी चौधरी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनैतिक बदले की भावना से ईडी के जरिये कांग्रेस सरकार को परेशान करने के आरोप पर कहा "ईडी ने इस मामले में सुपेला पुलिस द्वारा मई 2022 में मामला दर्ज किए जाने के बाद महादेव ऐप की जांच शुरु की है. ऐसे में मुख्यमंत्री का आरोप बेतुका और बौखलाहट से भरा है. दरअसल, कांग्रेस सरकार और उसकी पुलिस ने महादेव ऐप के सरगनाओं से और अधिक पैसा ऐठने की नीयत से दिखावटी कार्रवाई शुरु की थी, जिसमें स्थानीय स्तर पर सट्टेबाजी का काम देख रहे इस गिरोह के छोटे-मोटे गुर्गों को बलि का बकरा बनाया जा सके."
सीएम भूपेश बघेल ने क्या कहा
वहीं इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली में एआईसीसी के दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियो के जरिए सरकार कांग्रेस पार्टी को परेशान कर रही है. उन्होंने घोटालों के आरोप को गलत ठहराया और बोले कि एक छोटे से राज्य में 200 से अधिक छापे मारे गए हैं. अब पता चला कि पाटन में बीजेपी की दाल नहीं गलने वाली है, तो ईडी को भेज दिया है. इसका मतलब ये है की आने वाले दिन और ईडी-आईटी वाले कांग्रेस के और कार्यकर्ताओं के यहां जाएंगे. उसको परेशान करेंगे, ताकि वो काम मत कर सकें. बीजेपी के बहुत मजबूत विंग हैं ईडी और आईटी. वो उसके माध्यम से वो चुनाव लडना चाहते हैं.
गौरतलब है कि ईडी ने महादेव ऐप ऑनलाइन सट्टेबाजी मामले चार लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें एक एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा ईडी ने दावा किया है कि इसके संबंध मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतक सलाहकार विनोद वर्मा से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा आरोप लगाया है कि दुबई से हवाला के माध्यम से मोटी रकम हर महीने आती थी. जिसे चंद्रभूषण वर्मा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े नेताओं को 'संरक्षण राशि' के रूप में वितरित कर रहा था. ईडी ने कहा कि अब तक एएसआई चंद्रभूषण वर्मा को करीब 65 करोड़ रुपये नकद मिले थे.