Jashpur News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जशपुर जिले (Jashpur) में स्वास्थ्य विभाग की लाख कोशिशों के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र के लोग अब भी झाड़-फूंक पर ही विश्वास कर रहे हैं. समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्पदंश को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया गया. मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार और कार्यशाला आयोजित करने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र के लोग सर्पदंश के पीड़ितों को हॉस्पिटल ना लाकर स्थानीय बैगा गुनिया के चक्कर मे रखते हैं और सही समय में उचित इलाज नहीं मिलने के कारण पीड़ित की जान चली जाती है. 


ऐसा ही मामला जशपुर जिले के पत्थलगांव ब्लॉक से सामने आया है, जहां देर रात ग्राम पंचायत बालकपोढ़ी के आश्रित ग्राम अमाडोला गांव में एक प्लांट में सो रहे युवक को सांप ने डस लिया. युवक अपने परिजनों के साथ प्लांट में सो रहा था. रात के दौरान उसे करैत सांप ने डस दिया. युवक ललित चौहान (28 वर्ष) को अस्पताल ले जाने के बजाए उसके पिता लगभग एक घंटे तक युवक का उपचार झाड़-फूंक से कराते रहे. बाद में जब युवक की स्थिति नाजुक होते दिखी, तो उसे सिविल हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया. जहां एंटी वेनम डोज लगाने के बाद भी युवक की हालत में सुधार नहीं आया तो उसे गंभीर हालत में अम्बिकापुर रेफर कर दिया गया और रास्ते में युवक की मौत हो गई. 


क्षेत्र के लोगों से अपील
जानकारी के अनुसार, ललित चौहान के कान में सांप ने काटा था. जिसके बाद उसने सांप को पकड़कर मार दिया और झाड़-फूंक से अपना इलाज कराना उचित समझा. ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ जेम्स मिंज ने क्षेत्र के लोगों से अपील करते हुए कहा कि सर्पदंश से यदि कोई पीड़ित होता है, तो उसे तत्काल सिविल हॉस्पिटल या फिर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराएं, जिससे उसका सही समय पर इलाज होने से उसकी जान बचाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि सर्पदंश का सही इलाज एंटी स्नेक वेनम ही है और यदि किसी को सांप डस ले तो झाड़ फूंक में समय खराब करने की जगह उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र ले जाना चाहिए, जिससे उसका उचित इलाज हो सकेगा.


ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंश के मामले बढ़े
उन्होंने कहा कि सर्पदंश की स्थिति में तत्काल पीड़ित को एंटी स्नेक वेनम लगाया जाना आवश्यक होता है. ये क्षेत्र नागलोक के नाम से मशहूर है. ऐसे में यहां के सिविल हॉस्पिटल के अलावा ग्रामीण इलाकों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एंटी स्नैक वेनम का पर्याप्त डोज मुहैया कराया गया है. सर्पदंश के ज्यादातर मामले वनांचल और ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. अधिकांश ग्रामीण बारिश के मौसम में भी जमीन पर सोते हैं. इससे उनके सर्पदंश का शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है. 


स्वास्थ्य विभाग ने सर्पदंश से बचने के लिए ग्रामीणों को बारिश के मौसम में जमीन पर नहीं सोने और केमिकल युक्त मच्छरदानी का प्रयोग करने की सलाह दी है. डॉ जेम्स मिंज ने ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत लोगों को चारपाई का उपयोग करने की भी बात कही है.


Chhattisgarh: चुनावी साल में बघेल सरकार का तोहफा, घरेलू उपभोक्ताओं का बिजली बिल हुआ आधा, जानें और क्या मिली रियायत