छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर के बाद एक के बाद एक कई बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. राजिम पुन्नी मेला के बाद अब बलौदाबाजार जिले में 3 दिन का मेला लगने वाला है. गिरौदपुरी धाम में इस साल 7 से 9 मार्च तक मेले का आयोजन किया जाएगा. इस बार प्रशासन ने मेले के 10 किलोमीटर तक के दायरे में शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है साथ ही प्लास्टिक के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया है.
हर वर्ष गिरौदपुरी धाम में मेले का आयोजन किया जाता है. इसमें कई लाख श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. पिछले वर्ष कोरोना पाबंदी के साथ मेले का आयोजन किया गया था. वहीं इस वर्ष के मेले की तैयारी को लेकर रविवार को जिला पंचायत भवन में विजय कुमार की अध्यक्षता में गिरौदपुरी मेला आयोजन समिति की बैठक हुई.
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मेले में 15 से 20 डिप्टी कलेक्टर होंगे तैनात
इस बैठक में मेले की व्यवस्था को लेकर व्यापक रूप से चर्चा की गई है और इसे सुनिश्चित करने के लिए कसडोल एसडीएम अनुपम तिवारी मेला अधिकारी एवं सह मेला अधिकारी बिलाईगढ़ एसडीएम एस एल सोरी को नियुक्त किया गया है. कानून व्यवस्था में उन्हें सहयोग के लिए राज्य स्तर से करीब 15 से 20 डिप्टी कलेक्टरों और संयुक्त कलेक्टरों की तैनाती की जाएगी. इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखा गया है.
मेला स्थल में 800 पुलिस जवान तैनात होंगे
मेला स्थल के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था रहेगी. लगभग 800 की संख्या में पुलिस बल मौजूद रहेंगे. गिरौदपुरी धाम के 10 किलोमीटर की एरिया में कोई भी अवैध शराब दुकान नहीं होगा.आबकारी एवं पुलिस को सख्त निर्देश दिए गए हैं. वहीं पान, गुटखा एवं बीड़ी का विक्रय पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.
मेले में प्लास्टिक प्रतिबंध
अक्सर देखा जाता है कि बड़े मेले के आयोजन में बाद मेला स्थल में प्लास्टिक कचरा का भंडार हो जाता है. इस लिए इस बार प्लास्टिक से सामान की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है.कलेक्टर डोमन सिंह ने बताया कि मेले में प्लास्टिक में भोजन और अन्य सामग्री परोसने पर प्रतिबंध रहेगा. दोना पत्तल एवं लकड़ी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके अलावा मेला स्थल पर टैंक को साफ कराकर पानी भरना प्रारंभ हो गया है. मंदिर परिसर, महराजी, छातापहाड़ एवं पंच कुण्डीय में अलग से पानी टंकी का इंतजाम रहेगा. मेला में आये दर्शनार्थियों के लिए रियायती दर पर दाल-भात केन्द्र स्थापित किये जाएंगे. आस-पास गांवों के स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले स्व सहायता समूहों को दाल-भात केन्द्र चलाने की जिम्मेदारी दी जाएगी.
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