Raipur: राजस्थान और गुजरात में पशु लंपी वायरस की चपेट में आ रहे हैं. लंपी वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए छत्तीसगढ़ में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है. राज्य की सीमाओं पर चेक पोस्ट लगाकर पशुओं की आवाजाही पर निगरानी रखी जा रही है. जहां लंपी वायरस संक्रमित पशु मिलेंगे उस इलाके के 10 किलोमीटर परिधि में आने वाले सभी पशु बाजारों को आगामी आदेश तक बंद करने के भी निर्देश दिए गए हैं. संक्रमित गांवों में पशु मेला, पशु प्रदर्शनी, पशु व्यापार पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने को कहा गया है.


पशु चिकित्सा विभाग ने जारी की गाइडलाइंस
दरअसल पशुओं को लंपी स्कीन रोग से बचाव के लिए पशु चिकित्सा विभाग के संचालक ने संयुक्त संचालकों और उप संचालकों को इस रोग के नियंत्रण और बचाव के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन को सुनिश्चित करने को कहा है. लंपी से संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखने, दूसरे राज्यों से पशुओं के आवागमन पर रोक लगाने के साथ ही वेक्टर नियंत्रण और संक्रमित ग्रामों की 5 किलोमीटर की परिधि में गोटपाक्स वैक्सीन से रिंग वैक्सीनेशन कराने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा संक्रमित पशुओं से सैंपल लेकर राज्य स्तरीय प्रयोगशाला रायपुर को भिजवाने के लिए भी अधिकारियों को कहा गया है.


पड़ोसी राज्यों से संक्रमित पशुओं की आवाजाही का खतरा


पशु चिकित्सा विभाग के संचालक ने लंपी वायरस के नियंत्रण के लिए राज्य सीमा से लगे क्षेत्रों में चेक पोस्ट लगाने और नियमित निगरानी के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि प्रदेश के 18 जिलों की सीमा अन्य राज्यों से जुड़ी हुई है, जहां से बीमार पशुओं के आवागमन की संभावना है. यह भी संभव है कि पशु व्यापारी द्वारा विक्रय के लिए राज्य में लाए गए पशु रोग ग्रस्त हों, इसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश के सीमावर्ती ग्रामों में प्राथमिकता के आधार पर चेक पोस्ट लगाकर नियमित चेकिंग सुनिश्चित की जाए. आसपास के गांवों में कोटवारों को भी इस संबंध में अलर्ट किया जाए. साथ ही इन गांवों में पशु मेला का आयोजन नहीं करने और पशु बिचौलियों पर भी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं.


संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने वाले लोग बरतें सावधानी


पशु चिकित्सा विभाग के जिला अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया है. रोग ग्रस्त पशुओं को स्वास्थ्य पशुओं से अलग रखने, रोग ग्रस्त जिले और रोग ग्रस्त गांव से नजदीक गांवों में गहन सर्वे और निगरानी सुनिश्चित करने चिकित्सकीय टीम तैनात करने के भी निर्देश दिए गए हैं. जिन क्षेत्रों में गौवंशीय और भैंसवंशीय पशुओं का पालन एक साथ किया जाता है, वहां भैंसवंशीय पशुओं को अलग रखने, पशुगृह की नियमित साफ सफाई करने और नियमित रूप से जूं किलनी नाशक दवा का छिड़काव करने को कहा गया है. संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने वालो लोगों को हमेशा दस्ताने और मास्क पहनकर पशुओं के समीप जाने का आग्रह किया गया है. वहीं, असामान्य बीमारी के लक्षण पाये जाने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय को सूचित करने को कहा गया है.


क्या है लंपी वायरस


लंपी स्कीन रोक विषाणुजनित संक्रमित रोग है, जो रोगी पशु से स्वस्थ पशु में छूने और मच्छर व मक्खियों के माध्यम से फैलता है. इस रोग में बुखार के साथ पूरे शरीर पर छोटी-छोटी गुटली बन जाती है, जो बाद में घाव में तब्दील हो जाती है. लंपी स्कीन रोग संक्रमण से दूधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता, भार वाहक पशुओं की कार्य क्षमता और कम उम्र के पशुओं के शारीरिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इसके चलते पशु पालकों को नुकसान उठाना पड़ता है.


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