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Chhattisgarh: बिना छुट्टी के दफ्तर से नदारद रहने वालों पर कलेक्टर का शिकंजा, नोटिस से मचा हड़कंप
Chhattisgarh Ambikapur Collector Raids : कलेक्टर ने छापे के दौरान 16 अधिकारी व कर्मचारी बिना अवकाश के ऑफिस से गायब मिले. लिहाजा, कलेक्टर ने सभी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दे दिए हैं.
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Ambikapur News: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से दो दिन के अवकाश की घोषणा के बाद भी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी समय पर दफ्तर नहीं पहुंचते हैं या फिर दिन दिनभर बिना छुट्टी के दफ्तर से गायब रहते हैं. लिहाजा, इन कर्मियों पर लगाम लगाने के लिए अम्बिकापुर कलेक्टर (Ambikapur Collector) कुंदन कुमार (Kundan Kumar) ने सोमवार को कई दफ्तरों में छापामार कार्रवाई की.
इस दौरान 16 अधिकारी व कर्मचारी बिना अवकाश और सूचना के ऑफिस से गायब मिले. लिहाजा, कलेक्टर ने सभी 16 अधिकारियों व कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है. माना जा रहा है कि नोटिस का कोई उचित कारण नहीं बता पाने पर सभी के खिलाफ वेतन काटने की कार्रवाई की जा सकती है. इधर, कलेक्टर के इस एक्शन के बाद पूरे जिले के शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है.
राहत के बाद भी ऑफिस से रहते हैं गायब
दरअसल, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आने के बाद सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की सहूलियत देने के लिए दो दिन की छुट्टी की घोषणा कर दी. इसके साथ ही सप्ताह में दो दिन यानी कि शनिवार और रविवार की दो दिन लगातार शासकीय कार्यालयों की छुट्टी की घोषणा कर दी गई. सरकार के इस फैसले से शासकीय कर्मचारियों ने राहत की सांस ली. इसके साथ ही आफिस का समय सुबह 10:00 से शाम 5:30 तक कर दिया गया था. हालांकि, विडंबना ये है कि दो दिन की छुट्टी के बाद भी अधिकारी-कर्मचारी तय समय से दफ्तर नहीं पहुंच रहे हैं और न ही तय समय तक दफ्तर में रहते हैं.
अफसरों की लापरवाही से भटकते हैं लोग
शासन की ओर से तय समय अवधि तक आफिस में अधिकारी और कर्मचारियों के न रहने से दूर दराज से किराया-भाड़ा लगाकर शहर पहुंचने वाले लोग दफ्तर तो पहुंच जाते हैं, लेकिन फिर दफ्तरों में अधिकारियों और कर्मचारियों के न होने से उन्हें या तो घंटों दफ्तर के बाहर चक्कर लगाना पड़ता है. या फिर उन्हें फिर किराया भाड़ा लगाकर वापस अपने गांव लौटना पड़ता है. जिला मुख्यालय अंबिकापुर से लेकर पूरे सरगुजा संभाग से इसी तरह की सामने देखने को मिल रही थी. इस व्यवस्था पर लगाम रखने वाले बड़े प्रशासनिक अधिकारी भी समय रहते ऐसी व्यवस्था को सुधारने के बजाय नजरअंदाज करते रहे थे.
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